Prachi Chaudhary : शुक्रवार से पेरिस ओलिंपिक का आगाज हो चुका है. ओलंपिक खेलों में उत्तर प्रदेश से 6 खिलाड़ियों का चयन हुआ है. खास बात ये है कि 6 में से 4 बेटियां हैं. इनमें से एक सहरानपुर के झबीरन की रहने वालीं प्राची भी हैं. कभी गांव की पगडंडियों पर दौड़ने वाली प्राची को पेरिस ओलंपिक का टिकट मिल गया है. इससे पहले भी वह कईं अंन्तर्राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा ले चुकी हैं.
अपनी मेहनत के बलबूतें पर अब वह ओलंपिक खेलों तक भी पहुँच गई हैं. प्राची (Prachi Chaudhary) की इस उपलब्धि पर पूरे जिले में खुशी का माहौल है. उनके परिवार, प्रशिक्षक और शुभचिंतक अब ओलंपिक में गोल्ड मेडल की भी उम्मीद लगा रहे हैं.
सहरानपुर की प्राची ने किया पेरिस ओलंपिक में प्रवेश
बता दें कि उत्तरप्रदेश के गांव झबीरन निवासी किसान की बेटी प्राची चौधरी का चयन ओलिंपिक के लिए हुआ तो पूरे गांव में ख़ुशी का माहौल बन गया था. प्राची (Prachi Chaudhary) के चयन से परिवार और खेल प्रेमियों में खुशी की लहर है. अभी ओलंपिक गेम्स में सेलेक्शन होने के बाद प्राची के घर पर बधाई देने वालों का तांता लग गया है. प्राची चौधरी पोलैंड की अकादमी में गोल्ड मेडल की तैयारी कर रही हैं.
उत्तर प्रदेश के झबीरन गांव के किसान की बेटी प्राची चौधरी (Prachi Chaudhary) ने अपनी कड़ी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया है. ओलंपिक में प्राची चार गुना 400 मीटर रिले में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी. उनके घर और गांव में उनके ओलंपिक में सफल होने की कामना की जा रही है.
गांव समेत पूरे जिले में प्राची की जीत कि हो रही कामना
बेटी के ओलंपिक पेरिस में पहुंचने से पिता जयवीर सिंह चौधरी और मां देवी राजेश देवी बहुत खुश हैं. उन्होंने कहा कि मैंने कभी भी यह नहीं सोचा था कि मेरी बेटी प्राची (Prachi Chaudhary) इस जगह तक देश का नाम रोशन करेंगी. खेल में बहुत सारी बाधाएँ आती हैं, लेकिन लगन और मेहनत से सपना पूरा किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि गाँव में यहाँ खेलने कि कोई व्यवस्था नहीं थी. प्राची ने शुरुआत में कढ़ी प्रैक्टिस की थी, उसने अपने सपने को पूरा करने के लिए बहुत मेहनत की. खेल के अलावा वह पढ़ाई में भी हमेशा अव्वल रहती थी.
माता-पिता को है बेटी पर गर्व
बेटी की सफलता से पिता जयवीर सिंह और मां राजेश समेत पूरे परिवार में हर्ष कि लहर हैं. जिला ओलंपिक संघ भी चाहते हैं कि ओलंपिक में प्राची शानदार प्रदर्शन करें और जीतकर आए. वहीं भाई अंकित चौधरी ने बताया कि प्राची (Prachi Chaudhary) बचपन से ही होनहार रही हैं. पहली बार स्कूल में पीटी टीचर ने प्राची को बच्चों के साथ दौड़ाया था. पहली रेस में ही प्राची ने जीत हासिल की थी. कक्षा 10 में प्राची राज्य स्तर की प्रतियोगिता में जगह बना पाई थी.
12वीं कक्षा के बाद प्राची ने पटियाला के स्पोर्ट्स अकादमी में दाखिला लिया. यहां से प्राची अंतरराष्ट्रीय स्तर के एथलीट के रूप में अपनी पहचान बना पाई थी. उन्होंने बताया कि प्राची के पास पहले दौड़ने के लिए जूते नहीं थे. वह फटे-पुराने जूतों से ही भागा करती थी और प्रैक्टिस किया करती थी.
भाई ने बताया कभी फटे-पुराने जूतों से करती थी प्रैक्टिस
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प्राची (Prachi Chaudhary) प्रैक्टिस के लिए खेतों में या कच्ची-पक्की सड़कों पर ही दौड़ा करती थी. उनकी मेहनत ही उन्हें यहाँ तक पहुंचा पाई है. प्राची इससे पहले 2023 में चीन में एशियाड गेम्स की 400 मीटर रिले दौड़ में रजत पदक जीतकर देश का नाम रोशन कर चुकी हैं. इसके लिए प्रदेश सरकार ने प्राची को करोड़ रुपए की राशि दी थी.
साथ ही सरकार की ओर से राजपत्रित अधिकारी का पद भी दिया गया था. इसके बाद वर्ष 2019 में दोहा में अंतरराष्ट्रीय अटरिया प्रतियोगिता में भी प्राची (Prachi Chaudhary) ने मेडल जीता था. वहीं एशियाड के बाद ओलंपिक में चयन एक ऐतिहासिक उपलब्धि है.
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