Sammoo Village

Sammoo Village : दिवाली का त्यौहार आज पूरे देश में बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया जा रहा है। भारत में दिवाली का त्यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाया गया। भारत के अलावा दुनिया के अलग-अलग देशों में दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है और आज भी मनाया जा रहा है। दिवाली के दिन लोग दीये जलाकर खुशियां मनाते हैं, लेकिन देश में एक ऐसा गांव भी है, जहां ना तो दीये जलाए जाते हैं और ना ही यह त्यौहार मनाया जाता है। दरअसल लोग इस त्यौहार को मनाने से डरते हैं। आखिर इसके पीछे क्या वजह है और कहां है यह गांव (Sammoo Village), आइए जानते हैं।

हिमाचल प्रदेश के गांव सम्मू में नहीं होती है दिवाली

Sammoo Village

ये गांव हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में स्थित हैं। यहाँ गांव सम्मू गांव (Sammoo Village) हैं, जहां के लोग दिवाली नहीं मनाते हैं, यह एक परंपरा है जिसका वे सदियों से पालन करते आ रहे हैं। यहां के लोगों को डर है कि कई पीढ़ियों पहले इस त्यौहार पर एक महिला को सती होने का श्राप मिला था। रोशनी का जगमगाता त्यौहार दिवाली आम दिनों की तरह ही बीतता है, घरों में अंधेरा रहता है और रोशनी और पटाखों की आवाजें नहीं आतीं।

गांव (Sammoo Village) के लोग परंपरा के दलदल में फंसे हुए हैं और किसी भयानक घटना से डरते हैं। बुजुर्गों ने युवाओं को चेताया है कि कोई भी उत्सव, चाहे वह रोशनी करना हो या कोई विशेष पकवान बनाना हो, अच्छा नहीं होता और दुर्भाग्य, आपदा और मृत्यु को आमंत्रित करता है।

दिवाली नहीं मनाने के पीछे ये है कहानी

Sammoo Village

कहानी ये है कि एक महिला अपने पति की मौत के बाद कथित तौर पर सती हो गई थी, लेकिन उससे पहले उसने गांव (Sammoo Village) को श्राप दिया था। गांव वालों का कहना है कि श्राप के डर से वे कई सालों से दिवाली नहीं मना पाए हैं। गांव वालों का कहना है कि लोगों ने इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए कई बार प्रयास किए, लेकिन असफल रहे।

लोग श्राप से इतना डरते हैं कि दिवाली पर घरों से बाहर निकलना भी उचित नहीं समझते हैं। दिवाली के दिन लोग अपने घरों में पकवान बनाने से भी डरते हैं। गांव के लोग परंपराओं में फंसे हुए हैं और उन्हें दिवाली के दिन कोई भयंकर हादसा होने का डर रहता है।

महिला के श्राप से सदियों से नहीं मना रहे दिवाली

Sammoo Village

किवदंती है कि काफी समय पहले यहां एक महिला दिवाली मनाने के लिए अपने माता-पिता के घर गई थी। लेकिन जल्द ही उसे खबर मिली कि उसके पति, जो राजा के दरबार में सिपाही था, की मृत्यु हो गई है। हमीरपुर जिले का सम्मू गांव (Sammoo Village) जिला मुख्यालय से 26 किलोमीटर दूर है। भोरंज पंचायत की प्रधान पूजा कुमारी बताती हैं कि बुजुर्गों के अनुसार कई साल पहले गांव में एक महिला के पति की मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद वह सती हो गई और उससे पहले महिला ने श्राप दिया था कि गांव में कोई भी दिवाली नहीं मनाएगा। वहीं गांव की एक अन्य बुजुर्ग महिला के अनुसार गांव को श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए कई बार हवन-यज्ञ भी किए गए, लेकिन सब विफल रहा।

गांव के लोग करते हैं सिर्फ सती की पूजा

Sammoo Village

गांव (Sammoo Village) के लोग सिर्फ सती की पूजा करते हैं और उनके सामने दीये जलाते हैं। गांव के एक बुजुर्ग व्यक्ति, जिन्होंने बिना किसी उत्सव के 70 से अधिक दिवाली देखी हैं। ऐसा कहा जाता है कि जब भी कोई दिवाली मनाने की कोशिश करता है, तो कोई दुर्भाग्य या नुकसान हो जाता है और वे घर के अंदर रहना पसंद करते हैं। एक अन्य ग्रामीण (Sammoo Village) वीना कहती हैं कि सैकड़ों सालों से लोग दिवाली मनाने से बचते आ रहे हैं।

अगर कोई परिवार गलती से भी दिवाली के दिन पटाखे जलाता है और घर में खाना बनाता है, तो मुसीबत आनी तय है। वह कहती हैं कि हवन-यज्ञ करके अभिशाप को तोड़ने के कई प्रयासों के बावजूद, ग्रामीण असफल रहे हैं, जिससे परंपराओं को निभाने की उनकी इच्छा और गहरी हो गई है।

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