Multiplex : अगर आप भी मूवी के समय पर सिनेमा हॉल (Multiplex) पहुंचते हैं और सोचते हैं कि फिल्म शुरू हो जाएगी। लेकिन शुरू के 20-25 मिनट तक विज्ञापन देखकर बोर हो जाते हैं, तो आपके लिए बड़ी राहत की खबर सामने आई है। बेंगलुरु की एक उपभोक्ता अदालत ने पीवीआर सिनेमा को निर्देश दिया है कि वह टिकटों पर फिल्मों के शुरू होने का वास्तविक समय स्पष्ट रूप से लिखे। अदालत ने विज्ञापनों और ट्रेलरों को इससे बाहर रखा है और मल्टीप्लेक्स (Multiplex) संचालक को निर्देश दिया है कि वह अत्यधिक विज्ञापनों पर अपना समय बर्बाद करने के लिए उपभोक्ता को मुआवजा दे।
थिएटर में विज्ञापन दिखाने पर कोर्ट का आदेश
दरअसल बेंगलुरु के 30 वर्षीय अभिषेक एमआर ने उपभोक्ता अदालत में पीवीआर सिनेमा, आईनॉक्स जैसे मल्टीप्लेक्स (Multiplex) और बुकमायशो के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्होंने फिल्म से 25-30 मिनट पहले विज्ञापन दिखाकर उनका समय बर्बाद किया, जिससे उन्हें मानसिक परेशानी हुई और उनके भविष्य के काम पर भी असर पड़ा है।
जानिए क्या है पूरा मामला?
दरअसल बेंगलुरु के अभिषेक नामक व्यक्ति ने 2023 में फिल्म ‘सैम बहादुर’ के लिए तीन टिकट बुक किए थे। शो का समय शाम 4:05 बजे बताया गया था और फिल्म शाम 6:30 बजे खत्म होने वाली थी। उन्होंने सोचा कि फिल्म देखने के बाद वे अपना बचा हुआ काम पूरा कर लेंगे। लेकिन जब वह थिएटर (Multiplex) पहुंचे तो फिल्म तय समय की बजाय शाम 4:30 बजे शुरू हुई।
क्योंकि थिएटर (Multiplex) में लंबे विज्ञापन और ट्रेलर दिखाए जा रहे थे। उन्होंने इसे गलत व्यापारिक व्यवहार बताया और कहा कि थिएटर कंपनियां विज्ञापनों से मुनाफा कमाने के लिए दर्शकों का समय बर्बाद कर रही हैं।
कोर्ट ने पीवीआर-आईनॉक्स पर लगाया जुर्माना
उपभोक्ता अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि किसी को भी दूसरों के समय और पैसे का गलत फायदा उठाने का अधिकार नहीं है। अदालत ने पीवीआर और आईनॉक्स जैसे मल्टीप्लेक्स (Multiplex) को 50,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया, क्योंकि उन्होंने गलत तरीके से उपभोक्ता का समय बर्बाद किया।
उन्हें मानसिक प्रताड़ना के लिए 5000 रुपये और मुकदमे के खर्च के लिए 10,000 रुपये अतिरिक्त देने को कहा गया। इसके अलावा उन्हें उपभोक्ता कल्याण कोष में 1 लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया गया।
उपभोक्ता फोरम ने सुनाया फैसला
उपभोक्ता फोरम की अध्यक्ष एम. शोभा और सदस्य अनीता शिवकुमार तथा सुमा अनिल कुमार ने पाया कि फिल्म से पहले चलाए गए 95% विज्ञापन व्यावसायिक प्रचार थे। ना कि सरकार द्वारा अनिवार्य सार्वजनिक सेवा घोषणाएँ जो 10 मिनट से अधिक नहीं होनी चाहिए। फैसला सुनाया कि मल्टीप्लेक्स (Multiplex) में समय पर आने वाले आगंतुकों को अत्यधिक विज्ञापन देखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने उन दावों को भी खारिज कर दिया कि शिकायतकर्ता ने विज्ञापनों को फिल्माकर एंटी-पायरेसी कानूनों का उल्लंघन किया है।
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