Ali Khamenei

Ali Khamenei: इजराइल और ईरान के बीच युद्ध के कारण तेहरान में अशांति बढ़ रही है। इजराइली हमलों में ईरान के शीर्ष जनरल मारे गए हैं और उनकी जगह नए लोगों को नियुक्त करना पड़ा है। लोग अपनी जान बचाने के लिए तेहरान से भाग रहे हैं।

इस बीच, ईरान के निर्वासित क्राउन प्रिंस रेजा पहलवी ने तेहरान में खामेनेई (Ali Khamenei) शासन को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया है। रेजा पहलवी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में घोषणा की कि ‘ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई ‘भूमिगत हो गए हैं और छिप गए हैं’ और ‘इस्लामिक रिपब्लिक टूटने की प्रक्रिया में है’।

खामेनेई के भतीजे ने खोला सरकार के खिलाफ मोर्चा

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इतना ही नहीं प्रिंस के बाद अब खुद खामेनेई (Ali Khamenei) के भतीजे महमूद मोर्दखानी ने भी खामेनेई के खिलाफ मोर्चा खोला है। मोर्दखानी ईरान छोड़कर फ्रांस में रह रहे है। और वहीं से खामेनेई के खिलाफ खड़े हो चुके है। खामेनेई के भतीजे महमूद मोर्दखानी, जो फ्रांस में रहते हैं और देश छोड़ चुके हैं। उन्होंने एक साक्षात्कार में खुलकर बात की है। उन्होंने कहा कि वे युद्ध के बिल्कुल खिलाफ है।

मोर्दखानी सरकार को हटाने के लिए कर चुके आह्वाहन

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मोर्दखानी ने 1986 में ईरान छोड़ दिया था और तब से वह अपने चाचा खामेनेई शासन के कड़े आलोचक हैं। उनका कहना है कि इजरायल के साथ यह सैन्य संघर्ष दुखद है। लेकिन यह ऐसी सरकार के तहत होना ही था जो न तो किसी के आगे झुकती है और ना ही कोई सुधार करना चाहती है। उनका मानना ​​है कि ईरान में बहुत से लोग खामेनेई (Ali Khamenei) सरकार की कमजोरी देखकर खुश हैं। उन्होंने चेतावनी भी दी, “इस शासन को खत्म होना ही चाहिए। अगर इसे पूरी तरह खत्म नहीं किया गया, तो यह एक बेकार की हार होगी और मुझे यकीन है कि यह शासन बाद में इसका बदला जरूर लेगा।”

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भी ईरान के खिलाफ

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वहीं, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर ईरान से बिना शर्त आत्मसमर्पण की मांग की है और खामेनेई (Ali Khamenei) की हत्या का भी संकेत दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप ने ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला करने के लिए सैन्य विकल्पों को व्यक्तिगत रूप से मंजूरी दी है। हालांकि अभी अंतिम आदेश नहीं दिया गया है। कुल मिलाकर ईरान इस समय दो मोर्चों पर लड़ रहा है।

इजराइल ने ईरान को किया तबाह

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इजराइल ने ईरान में प्रमुख ऊर्जा अवसंरचना को नष्ट कर दिया है, जैसे कि दुनिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस भंडार, साउथ पारस गैस फील्ड। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इन हमलों का उद्देश्य इस्लामी शासन में लोगों का भरोसा तोड़ना और देश को एक ऐसे आर्थिक संकट की ओर धकेलना है, जिससे उबर पाना मौजूदा सरकार के लिए मुश्किल होगा। इजराइल के नए हमलों को देखकर ऐसा लगता है कि उसने अपने नए लक्ष्य तय कर लिए हैं, या उसके लक्ष्य अब पता चलने लगे हैं।

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