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The fall of Iran will increase inflation in India

India: ईरान और इजराइल दोनों ही भारत (India) के व्यापारिक साझेदार हैं और इस समय दोनों देशों के बीच युद्ध चल रहा है. जाहिर है इस युद्ध का असर भारत के व्यापार पर भी पड़ सकता है. दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के कारण होर्मुज जलडमरूमध्य में स्थिति गंभीर हो गई है.

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए ने चेतावनी दी है कि अगर इस मार्ग से तेल और गैस की आपूर्ति बाधित होती है तो भारत की अर्थव्यवस्था (Economic) पर असर पड़ सकता है.

क्यों टेंशन में हैं एक्सपोर्टर्स?

निर्यातकों का कहना है कि अगर यह युद्ध और बढ़ता है तो इसका असर वैश्विक व्यापार पर पड़ेगा और हवाई तथा समुद्री माल ढुलाई की दरें बढ़ जाएंगी. साथ ही आशंका है कि इससे होर्मुज जलडमरूमध्य और लाल सागर के रास्ते वाणिज्यिक जहाजों की आवाजाही पर भी असर पड़ सकता है.

यह ध्यान देने योग्य है कि भारत (India) का लगभग दो-तिहाई कच्चा तेल और आधे से अधिक एलएनजी आयात इसी जलडमरूमध्य से होकर आता है, जिसे अब ईरान ने बंद करने की धमकी दी है. यह जलमार्ग केवल 21 मील चौड़ा है और वैश्विक तेल व्यापार का लगभग पाँचवाँ हिस्सा इसी से होकर गुजरता है।

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ईरान पर हमले के बाद कीमतों में उछाल

Inflation Will Affect The Indian Economy
Inflation Will Affect The Indian Economy

दिल्ली के चावल व्यापारियों का कहना है कि ईरान-इजराइल युद्ध ने चावल निर्यात श्रृंखला को बुरी तरह प्रभावित किया है. वर्ष 2024 में भारत (India) ने ईरान को करीब 52 लाख टन बासमती चावल भेजा था, जिसकी कीमत करीब 6374 करोड़ रुपये थी. लेकिन इस साल स्थिति बिल्कुल अलग है.

युद्ध के कारण करीब 14,000 टन चावल रास्ते में फंसा हुआ है और भुगतान भी अटका हुआ है. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए ने चेतावनी दी है कि यदि होर्मुज जलडमरूमध्य के माध्यम से तेल और गैस की आपूर्ति बाधित होती है तो कच्चे तेल की कीमतें 64-65 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 74-75 डॉलर प्रति बैरल हो सकती हैं।

India के साथ ईरान का कारोबार

2023-24 और 2024-25 में ईरान को भारत (India) का निर्यात लगभग 1.4 बिलियन डॉलर पर स्थिर रहा, लेकिन आयात 625 मिलियन डॉलर से घटकर 441 मिलियन डॉलर रह गया। यह संघर्ष पहले से ही वैश्विक व्यापार पर अमेरिकी टैरिफ युद्ध के कारण उत्पन्न दबाव को बढ़ा रहा है. विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने अनुमान लगाया है कि व्यापार युद्ध के कारण 2025 में वैश्विक व्यापार में 0.2 प्रतिशत की कमी आ सकती है, जबकि पहले इसमें 2.7 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया था। हालांकि भारत ने 2024-25 में कुल निर्यात में 6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है और 825 अरब डॉलर का आंकड़ा छू लिया है।

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