Film: 21वीं सदी की हिंदी सिनेमा में कई बड़ी फिल्में (Film) आईं – पीके, पद्मावत, गली बॉय और दंगल जैसी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर धूम मचाई, लेकिन दर्शकों के दिल में जो जगह राजकुमार हिरानी की फिल्म 3 इडियट्स ने बनाई, वह आज तक कोई और फिल्म नहीं बना सकी. 2009 में रिलीज हुई इस फिल्म ने सिर्फ मनोरंजन नहीं किया, बल्कि समाज, शिक्षा और करियर को लेकर सोच बदल दी।
कहानी से मिली सीख

फिल्म (Film) की कहानी तीन दोस्तों – रणछो (आमिर खान), राजू (शर्मन जोशी) और फरहान (आर. माधवन) की जिंदगी पर आधारित है. इसमें दिखाया गया कि कैसे इंजीनियरिंग कॉलेजों में बच्चे सिर्फ डिग्री और नौकरी के दबाव में जीते हैं, लेकिन असली सफलता अपने जुनून को अपनाने में है. “पैशन को फॉलो करो, सफलता अपने आप पीछे आएगी” – फिल्म का यही संदेश आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा है.
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शिक्षा व्यवस्था पर सवाल
3 इडियट्स ने भारतीय शिक्षा प्रणाली की खामियों पर खुलकर चोट की. अंकों और रटने की बजाय ज्ञान और नवाचार पर ध्यान देने की जरूरत फिल्म ने समझाई। यही कारण है कि कई शिक्षाविदों ने इस फिल्म को शिक्षण के लिए एक उपयोगी साधन माना. आज देश के कई स्कूल और कॉलेज इसे पाठ्यक्रम का हिस्सा बना चुके हैं, ताकि छात्र सिर्फ परीक्षा पास करने के लिए नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला सीख सकें.
दुनियाभर में लोकप्रिय
फिल्म (Film) ने भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अपार लोकप्रियता हासिल की। चीन में यह फिल्म इतनी पसंद की गई कि वहां इसे अल टाइम ब्लॉकबस्टर का दर्जा मिला. वहां के छात्र और टीचर्स भी इसे मोटिवेशनल फिल्म मानते हैं. भले ही इस फिल्म को रिलीज हुए 15 साल से ज्यादा समय हो चुका है, लेकिन इसके डायलॉग और संदेश आज भी उतने ही असरदार हैं. “ऑल इज वेल” और “काबिल बनो, कामयाबी झक मारकर पीछे आएगी” जैसे संवाद हर पीढ़ी को प्रेरित करते रहते हैं।