तिरुवनंतपुरम: केरल की श्रीधन्या सुरेश ने कुछ ऐसा किया कि पूरे देश में उसके चर्चे हैं। राजधानी तिरुवनन्तपुरम (त्रिवेन्द्रम) से 442 किलोमीटर दूर वायनाड के एक गांव पोजुथाना जहां से कांग्रेस नेता राहुल गांधी सांसद हैं।। उस गांव की लड़की श्रीधन्या सुरेश ने आईएएस बनकर अपने पिता के सपनों को उड़ान दे दी ये कहानी बेहद ही प्रेणादायक है।
पिता की मेहनत
किसी भी तरह की सफलता के पीछे बड़ी मेहनत होती है। श्रीधन्या सुरेश के पिता इस मेहनत की एक अहम कड़ी है। श्रीधन्या सुरेश के पिता भी दिहाड़ी मजदूर हैं। गांव के बाजार में धनुष और तीर बेचने का काम करते हैं। यह मजदूर पिता खुद नहीं पढ़ सका, मगर बेटी को पढ़ने-लिखने का भरपूर अवसर दिया और आईएएस की कुर्सी तक पहुंचा दिया।
क्लर्क बन कर किया काम
श्रीधन्या सुरेश क्लर्क और आदिवासी हॉस्टल की वार्डन की नौकरी कर रही थीं और साथ सिविल परीक्षा की तैयारियों में भी जुटीं थीं। नौकरी के साथ-साथ ट्राइबल वेलफेयर द्वारा चलाए जा रहे सिविल सेवा प्रशिक्षण केंद्र में कुछ दिन कोचिंग की। उसके बाद वो तिरुवनंतपुरम चली गईं। अनुसूचित जनजाति विभाग से आर्थिक मदद मिलने के बाद श्रीधन्या ने पूरा ध्यान तैयारी पर लगा दिया और उसके बाद श्रीधन्या ने सफलता के झंडे गाड़ दिए।
दोस्तों ने दिए पैसे
श्रीधन्या सुरेश ने बुलंद हौसलों के दम पर तीसरे प्रयास में ही वर्ष 2018 में सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली। इस प्रयास में सफलता प्राप्त करते हुए 410 रैंक हासिल करते हुए उनका नाम साक्षात्कार में आया। लेकिन दिक्कत थी कि श्रीधन्या के पास साक्षात्कार के दिल्ली आने तक के पैसे नहीं थे। बात जब दोस्तों को पता चली तो उन्होंने चंदा जुटाया और श्रीधन्या के लिए 40 हजार रुपए की व्यवस्था कर उसे दिल्ली भेजा और वहां उन्होने इंटरव्यू भी क्लियर कर लिया।
पहली जनजाति महिला आईएएस
आपको बता दें कि श्रीधन्या सुरेश नाम गरीबी, मेहतन और कामयाबी की मिसाल का है। केवल 22 वर्ष की उम्र में इन्होंने वो कमाल कर दिखाया जो शायद लोग बड़ी उम्र में भी नहीं कर पाते हैं।
वर्ष 2018 में 410वीं रैंक हासिल कर UPSC परीक्षा पास की। इसी के साथ ही केरला की पहली जनजाति महिला आईएएस बनने का रिकॉर्ड श्रीधन्या सुरेश के नाम दर्ज हो गया और वो अपने जैसे हजारों लोगों के लिए प्रेरणा बन गईं।