कोरोना से दुनिया भर में कहर का शोक झेल रहा है, वहीं भारत में कोरोना से जुड़े मामले साढ़े चार लाख पर कार चुके हैं, वहीं मरीजो की संख्या बढ़ने के साथ-साथ रिकवरी की संख्या में काफी रफ्तार से इजाफा हो रही है। भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार रिकवरी रेट करीबन 57 प्रतिशत है।
इस बीच मे ये पता चला कि कोरोना से पीड़ित हर तीन में से एक मरीज को आजीवन हैल्थ से जुड़े बीमारिया झेलनी पड़ सकती है। और लंबे वक्त उनको इस बीमारी से जूझना पड़ सकता है।
ब्रिटेन के एक इंग्लिश अखबार टेलीग्राफ ने इंग्लैंड की नेशनल हेल्थ सर्विस की मदद से इस स्टडी पर प्रकाशित की है। स्टडी में कहा गया है कि कोरोना से ठीक हुई 30 फीसदी मरीजो को जिंदगी भर फेफड़ों की बीमारी से झेलनी पड़ेगी, और रोजाना काम मे मानसिक तकलीफ भी हो सकती है और इसके अलावा जो मरीज आई सी यु में रहते हुई ठीक हुये हैं उन्हें और भी दिक्कतें का सामना करना पड़ सकता है।
दिमाग से हो सकती है समस्या-
जांच में पाया गया कि जिन मरीजों की कोरोना से गंभीर लक्षण पाए गए हैं, वे ठीक होकर शाररिक समस्याओं के साथ-साथ मानसिक और दिमागी रूप से पीड़ित रह सकते हैं। नेशनल हेल्थ सर्विस के चीफ हेलरी फ्लॉएड ने कहा कि कोरोना से रिकवर होकर आगे आने वाली परेशानियां से बहुत कम जानकारी है पर ऐसा पाया गया है कि कई मरीजो के रिपोर्ट आने के बाद भी वायरस का असर पड़ा है।
फेफड़ों पर ज्यादा वार करता है-
ये वायरस किडनी और फेफड़ों पर ज्यादा तर अटैक करता है. ज्यादातर मामले इसमें फेफड़ों पर दिखता है, ये फेफड़ों पर सूजन पैदा कर देता है, जिसे हम लोग निमोनिया कहते हैं, कि कोरोना वायरस आत और किडनी पर भी जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि इस वायरस का प्रवेश द्वार फेफड़ा है, ऐसी वजह से सबसे ज्यादा प्रभाव यही होता है, यही कारण है कि मरीज को वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ती है।
5 लाख के करीब लोगों की मौत-
दुनियाभर में कोरोना वायरस से अब तक करीबन 93 लाख संक्रमित हो चुके हैं, इनमे करीब 50 लाख लोग स्वास्थ्य हुये हैं, वहीं करीबन 4 लाख 76 हजार लोगों की मौत हो गयी है ।
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