कोरोना महामारी के बीच सोने के आयात में कमी दर्ज़ की गयी है। पिछले वित्त वर्ष (2019-20) की अवधि में सोने का आयात 15.8 अरब डॉलर या 1,10,259 करोड़ रुपये रहा था। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वर्तमान समय में वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान 57 प्रतिशत घटकर 6.8 अरब डॉलर या 50,658 करोड़ रुपये रहा है। उल्लेखनीय है कि सोने का आयात देश के चालू खाते के घाटे को प्रभावित करता है। भारत सालाना 800 से 900 टन सोने का आयात करता है। कोविड-19 के चलते सोने के आयात में डिमांड में भारी गिरावट आई है। सोने का आयात देश के चालू खाते के घाटे कैड पर प्रभाव डालता है।
चालू खाते का घाटा कम
आयात और निर्यात के अंतर को कैड कहा जाता है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में सोने का आयात 15.8 अरब डॉलर या 1,10,259 करोड़ रुपये रहा था। इसी तरह अप्रैल-सितंबर के दौरान चांदी का आयात भी 63.4 प्रतिशत घटकर 73.35 करोड़ डॉलर या 5,543 करोड़ रुपये रह गया। सोने और चांदी के आयात में कमी से देश का चालू खाते का घाटा कम हुआ है। आयात और निर्यात के अंतर को ही कैड कहा जाता है। आयात-निर्यात पर भी बुरी तरह असर पड़ा है।
चांदी के आयात में आयी गिरावट
अप्रैल-सितंबर के दौरान चांदी का आयात भी 63.4 प्रतिशत घटकर 73.35 करोड़ डॉलर या 5,543 करोड़ रुपये रह गया। कैड घटकर 23.44 अरब डॉलर रह गया, पिछले वित्त वर्ष की अवधि में 88.92 अरब डॉलर रहा था। यहां सोने का इम्पोर्ट मुख्य रूप से आभूषण उद्योग की मांग को पूरा करने के लिए किया जाता है। भारत सालाना 800 से 900 टन सोने का इम्पोर्ट करता है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में आभूषणों एवं रत्न का निर्यात 55 प्रतिशत घटकर 8.7 अरब डॉलर रहा। भारत दुनिया के सबसे बड़े सोना आयात करने वाले देशों में शुमार है। अप्रैल-जून 2020-21 के दौरान व्यापार घाटा 9.12 अरब डॉलर रह गया, वही एक साल पहले की इसी अवधि में 45.96 अरब डॉलर था। आयात और निर्यात के बीच के अंतर को व्यापार घाटा कहते हैं।