मानहानी के केस में राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने मीटू मामले में एमजे अकबर को बड़ा झटका दिया है। अदालत ने उनकी मानहनी की याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने प्रिया रमानी को आपराधिक मानहानी का दोषी नहीं माना है।
एमजे अकबर ने दर्ज कराया था मामला
दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने बुधवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री एजजे अकबर के महिला पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानी के मामले में फैसला सुनाते हुए प्रिया रमानी को बरी कर दिया है। कोर्ट के एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे ने दोनों पक्षों की मौजूदगी में एक ओपन कोर्ट में यह फैसाला सुनाया।
गैरतलब है कि देश के जाने माने पत्रकार और पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने पत्रकार प्रिया रमानी पर आपराधिक मानहानी का दावा किया था। इस मामले में सुनवाई हो चुकी थी और पिछली सुनवाई में जज ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर आज बुधवार को फैसला सुनाया है।
आदालत ने क्या कहा अपने फैसले में
ओपन कोर्ट में फैसला सुनाते हुए आदालत ने कहा, “यौन शोषण आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को खत्म कर देता है। किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा की सुरक्षा किसी के सम्मान की कीमत पर नहीं की जा सकती है”। अदालत ने कहा कि “महिलाओं के पास दशकों बाद भी अपनी शिकायत रखने का अधिकार है”।
अदालत ने कहा कि, सामाजिक प्रतिष्ठा वाला व्यक्ति भी यौन शोषण कर सकता है। समाज को समझना ही होगा कि यौन शोषण और उत्पीड़न का पीड़ित पर क्या असर होता है”
क्या था मीटू और फिर मानहानी का पूरा मामला
कुछ साल पहले दूसरों देशों में चला मीटू अभियान अपने देश में भी आ गया था। इस मीटू अभियान में देश की कुछ नामी हस्तियों ने पुरुषों पर शारीरिक शोषण समेत कई अन्य आरोप लगाए थे। इन आरोपों में भारत के कई नामी लोगों का नाम सामने आया था, जिन्होंने अपने सहकर्मियों और वरिष्ठ कर्मियों पर शोषण के आरोप लगए।
इसी कड़ी में पत्रकार प्रिया रमानी ने साल 2018 में मीटू अभियान के दौरान एमजे अकबर पर शोषण का आरोप लगाया था। इन आरोपों के चलते राष्ट्रीय जनतांत्रिक सरकार (एनडीए सरकार) में विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने 17 अक्टूबर, 2018 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस दौरान उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को झूठा बताया था, और इसके बाद अकबर ने पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानी का मामला दायर किया था।
मीटू अभियान के दौरान, पत्रकार प्रिया रमानी ने अकबर के ऊपर आरोप लगाते हुए दावा किया था, 20 साल पहले जब अकबर एक अखबार के संपादक थे, उस दौरान उन्होंने अपने ओहदे का गलत फायदा उठाते हुए शोषण किया था। प्रिया रमानी के इन आरोपों के बाद कई अन्य महिलाओं ने भी एमजे अकबर पर ऐसे ही गंभीर आरोप लगाए जिसके कारण उन्हें सरकार में अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।