नई दिल्ली : मंहगाई के इस दौर में हर चीज दाम आसमान छूने लगे हैं। ऐसे में आम आदमी को दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना तक काफी मुश्किल हो गया हैं। ऐसी मंहगाई में जब आप पेट्रोल भरवाने जाते हैं तो सोचते होंगे कि, 100 में शायद 2 लीटर पेट्रोल मिल जाए, लेकिन ऐसा होता नहीं हैं। हांलाकि 2 लीटर तो नहीं पर जल्द ही आपको 100 में सवा लीटर पेट्रोल जरूर मिल सकता हैं, जी हां आपने सही सुना आपको जल्द ही 100 रूपये में इतना पेट्रोल मिल सकता हैं। चलिए आपकी उत्सुकता को खत्म करते हुए हम आपको इस विषय में बता ही देते हैं।
इस दिन होने वाली हैं GST काउंसिल की बैठक

जानकारी के अनुसार 28 और 29 जून को चंडीगढ़ में जीएसटी (GST) काउंसिल की बैठक होने वाली हैं। इस बैठक में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के मुद्दे पर बात होगी साथ ही कई और अहम मुद्दों पर बात की जा सकती हैं। लेकिन सवाल यह उठता हैं कि पेट्रोल, डीजल अगर जीएसटी के दायरे में आ भी गए तो इस से जनता को फायदा होगा या नुकसान और अब तक पेट्रोल-डीजल और शराब को जीएसटी (GST) में शामिल क्यों नहीं किया गया था। तो आज हम इस लेख के जरिये आपको इस विषय में विस्तार से समझाते हैं।
इनकी कीमत की आधी कमाई जाती हैं सरकार के पास

आज के समय में शायद ही ऐसा कोई शहर होगा जहां पेट्रोल की कीमत आसमान नहीं छू रही हो। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पेट्रोल-डीजल की कीमत में केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार का टैक्स और डिलर की कमीशन तक शामिल होती हैं। यह सब ही मिलाकर आपको पेट्रोल की कीमत अदा करनी होती हैं। लेकिन जीएसटी (GST) लगने के बाद यह सब बंद हो जाएगा। जिसकी वजह से पेट्रोल, डीजल और शराब की कीमत में भारी गिरावट आ जाएगी।
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह ने दिया अपना बयान

पीएम नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष विवेक देबरॉय ने सरकार के इस कदम के फैसले के बारे में बताते हुए कहा हैं कि, उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने से महंगाई को थामने का कारगर उपाय निकलेगा। सोचिए अगर ऐसा हो गया तो ट्रोल की कीमत में करीब 30 रुपए की बड़ी गिरावट आएगी। वहीं पेट्रोल, डीजल को जीएसटी (GST) में शामिल किए जाने पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह ने कहा हैं कि, पेट्रोल और जीएसटी के दायरे में लाने से केंद्र सरकार को बेहद खुशी होगी। लेकिन राज्य ऐसा नहीं चाहते हैं।
पेट्रोल – डीजल पर क्यों नहीं लगाई गई थी जीएसटी
- जीएसटी (GST) लागू होने के समय से ही पेट्रोल, डीजल और शराब को इससे बाहर रखा गया था।
- केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों ही सरकारी खजाना खाली होने के डर से पेट्रोल, डीजल और शराब को जीएसटी में अब तक शामिल नहीं किया था।
आखिर शराब पर क्यों नहीं लगाई जाती जीएसटी

जानकारी के अनुसार RBI के मुताबिक पेट्रोल – डीजल के बाद राज्यों की सबसे ज्यादा कमाई शराब से मिलने वाले टैक्स से ही होती हैं। उदाहरण के लिए हम आपको समझाते हैं कि अगर राजस्थान में शराब की जीएसटी (GST) में शामिल कर सबसे ज्यादा 28% की टैक्स स्लैब में रखा जाए तो यहां पर 100 रूपये बीयर की कीमत लगभग 83 रूपये हो जाएगी। जिसकी वजह से सरकार के खाते में 45 रूपये की बजाए सिर्फ 28 रूपये ही जमा होंगे।
आपको बताते चले कि जुलाई 2017 में केंद्र सरकार ने राज्यों को 14% रेवेन्यू ग्रोथ की गांरटी दी थी। इससे कम टैक्स मिलने पर 5 साल तक भरपाई केंद्र सरकार को ही करनी थी। जिसकी तारीख जून 2022 तक पूरी होने जा रही हैं। अब ऐसे में सरकार ने राज्यों को जीएसटी (GST) कलेक्शन में होने वाले घाटे की भरपाई के लिए जून 2022 के बाद मुआवजा देने से अपना पल्ला झाड़ रही हैं।
महाराष्ट्र को मिला सबसे ज्यादा मुआवजा

आखिर कैसे करती हैं केंद्र सरकार घाटे की भरपाई?
अब आगे समझते हैं कि केंद्र सरकार आखिर घाटे की भरपाई कहां से करती हैं? असल में केंद्र सरकार जीएसटी (GST) मुआवजे की भरपाई अपनी जेब से नहीं बल्कि प्रोडक्ट पर GST कंपनसेशन लगा कर करती हैं। सेस 61% से 200% तक लगाकर सरकार अपने घाटे की रकम को पूरा करती हैं। यह कंपनसेशन तंबाकू, सिगरेट, पान मसाला, गुटखा, खैनी से लेकर पेट्रोल, एलपीजी और डीजल तक की बिक्री पर लिया जाता हैं। इस बारे में बयान देते हुए सीए के. पी सिंह ने कहा हैं कि, केंद्र ने राज्यों के घाटे की भरपाई के लिए जो कर्ज लिए हैं, उसकी भरापाई के लिए सिगरेट से लेकर गुटखें तक मार्च 2026 तक कंपनसेशन वसूला जाएगा।
इन देशों में नहीं लिया जाता हैं इनकम टैक्स

वहीं दुनिया में ऐसे भी देश हैं जहां इनकम टैक्स लिया ही नहीं जाता हैं। इसमें कई देश शामिल हैं।
यहां से शुरू हुआ था टैक्स शब्द का इस्तेमाल

आखिर में हम आपको यह बताते हैं कि, टैक्स सिस्टम की शुरूआत कहां से शुरू हुई थी ?
- टैक्स शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले अंग्रजी भाषा में 14वीं शताब्दी के दौरान किया गया था। इस शब्द को लैटिन भाषा से लिया गया था।
- इनकम टैक्स वेबसाइट पर बताया गया था कि 2000 साल पहले रोम के एक राजा ने सीजर ऑगस्टस ने टैक्स को लेकर फरमान सुनाया था।
- रोम के राजा सीजर के समय में पहली बार वहां पर समानों की खरीद पर 1% तक सेल्स टैक्स लिया जाता था।