Royal-Challengers-Bangalore-Why-Rcb-Has-Not-Won-A-Single-Trophy-From-Past-16-Years

Royal Challengers Bangalore: रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (Royal Challengers Bangalore) आईपीएल की सबसे लोकप्रिय टीमों में से एक है, लेकिन दुर्भाग्य से अभी तक वो एक भी ट्रॉफी नहीं जीत पाई है। हर साल उनके फैंस को खिताबी जीत की उम्मीद रहती है, मगर ये सिलसिला अभी तक टूटा नहीं है। आरसीबी की टीम 16 सालों से IPL ट्रॉफी नहीं जीत पाई है। 2008 में पहली बार IPL में खेलने उतरी ये टीम , 2011, 2013, 2016 और 2021 में फाइनल तक पहुंची, लेकिन हर बार हार का सामना करना पड़ा। चलिए इस रिपोर्ट के माध्यम से आपको बताते हैं कि वो कौन सी कमजोरियां हैं जो आरसीबी को चैंपियन बनने से रोक रही हैं…

Royal Challengers Bangalore की असंतुलित टीम

Royal Challengers Banagalore

रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (Royal Challengers Bangalore) अक्सर बल्लेबाजी पर ज्यादा ध्यान देता है, जिससे गेंदबाजी आक्रमण कमजोर रह जाता है। इस आईपीएल 2024 में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है, जहां विदेशी खिलाड़ियों में ज्यादातर बल्लेबाज ही थे। भारतीय गेंदबाजों पर निर्भरता रहने से टीम को विविधता नहीं मिल पाती.

Royal Challengers Bangalore से होती है बड़े मौकों पर चूक

Royal Challengers Banagalore

रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (Royal Challengers Bangalore) कई बार लीग स्टेज में अच्छा प्रदर्शन करता है, लेकिन प्लेऑफ में लड़खड़ा जाता है। अहम मुकाबलों में दबाव झेलने की क्षमता में कमी खलती है। लगातार हार या बड़े स्कोर को खोना टीम का मनोबल गिरा देता है।

Royal Challengers Bangalore करता है युवा प्रतिभाओं को निखारने में कमी

Royal Challengers Banagalore

रॉयल चैलेंजर बैंगलोर (Royal Challengers Bangalore) युवा खिलाड़ियों को मौका तो दिया है, लेकिन उन्हें निखारने और लगातार मौके देने में कमी रहती है जैसे की महिपाल लोमरोर के साथ हुआ। कई बार एक खराब प्रदर्शन के बाद खिलाड़ी को बाहर कर दिया जाता है, जिससे उनका आत्मविश्वास प्रभावित होता है।

रविंद्र जडेजा के नाम दर्ज हुआ आईपीएल इतिहास का अनोखा रिकॉर्ड, रोहित – कोहली के साथ प्रीमियम लिस्ट में हुए शामिल

Royal Challengers Bangalore के पास नहीं है मजबूत कोर ग्रुप

Royal Challengers Banagalore

चेन्नई सुपर किंग्स जैसी सफल टीमों की तरह रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (Royal Challengers Bangalore) के पास एक मजबूत कोर ग्रुप का अभाव है। हर साल नीलामी में खिलाड़ियों का बहुत अधिक बदलाव होता है, जिससे टीम को आपसी तालमेल बिठाने में दिक्कत होती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है हसरंगा और चहल जैसे खिलाड़ियों को टीम से जाने देना।

ये भी पढ़ें:

विराट से दोस्ती करने के बाद अब धोनी से गले लगे गौतम गंभीर, करोड़ों फैंस का जीता दिल, VIDEO वायरल