समाजवादी पार्टी ने जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में पार्टी के जिला अध्यक्ष की लापरवाही बरतने पर 11 जिला अध्यक्ष को हटा दिया है। जिसकी जानकारी सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने दी है। उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर गोरखपुर, मुरादाबाद, झांसी, आगरा, गौतमबुद्धनगर, मऊ, बलरामपुर, श्रावस्ती, भदोही, गोंडा और ललितपुर के जिला अध्यक्षों को उनके पद से पदमुक्त कर दिया है।
प्रदेश अध्यक्ष ने इसकी जानकारी पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों को दे दी है। पार्टी का मानना है कि इन जिला अध्यक्षों की लापरवाही के वजह से जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के लिए संबंधित जिलों में पार्टी उम्मीदवार का या तो समय से नामांकन नहीं हो पाया या फिर खारिज हो गया। सपा के प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि इन जिलों में जल्द ही नए जिला अध्यक्षों को पार्टी नामित करेगी।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा ने पंचायत चुनाव में धोखाधड़ी और धांधली कर आलोकतांत्रिक आचरण का परिचय दिया है।
उन्होंने कहा कि भाजपा बुनियादी मुद्दों से भटकाने वाली राजनीति करने में माहिर है। इस समय देश-प्रदेश के समक्ष सबसे बड़ा मुद्दा किसान आंदोलन है।
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को एक बयान में कहा कि भाजपा लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन के प्रति पूर्ण उपेक्षाभाव अपनाए हुए है।
देश के अन्नदाता किसान का इतना घोर अपमान कभी किसी सरकार में नहीं हुआ। जनता के साथ झूठे वादे और दावों के साथ किसानों के साथ भी धोखा दिया है। सैकड़ों किसान अपनी जाने गंवा चुके है।
भाजपा सरकार ने उन्हें मौन श्रद्धांजलि तक नहीं दी। भाजपा सरकार अपने संरक्षकों-बड़े व्यापारी घरानों के दबाव में किसानों की मांगों को मानने से इंकार कर रही है।
किसानों का कहना है कि भाजपा के कृषि कानूनों से खेती पर उनका स्वामित्व खत्म हो जाएगा, वे अपने खेतों में ही मजदूर हो जाएंगे। किसान बर्बादी के कगार पर पहुंच जाएगा।
आगे उन्होंने कहा कि कैसी विडंबना है, भाजपा सरकार किए हुए वादे को नही पूरा करना चाहती है। वहीं किसानों को उनके हक का धान एवं गेंहू का एमएससी तक नही मिल पा रही है, क्योंकि सरकारी क्रय केंद्र पर खरीद ही नही हो पा रही है।
भाजपा सरकार लोकतंत्र में जनादेश की उपेक्षा का गम्भीर अपराध कर रही है। उसने अपना लोकलाज भी त्याग दिया है।
भारतीय अर्थव्यवस्था भी इससे प्रभावित हो रही है। भाजपा किसान आंदोलन की मूकदर्शक बनकर रहेगी तो सन् 2022 में सत्ता की देहरी तक वह नहीं पहुंच पाएगी। समाजवादी पार्टी का जुड़ाव किसानों से है। पंचायती चुनावों के नतीजों से संकेत मिल चुके हैं कि ऊंट किस करवट बैठेगा?