हम माता-पिता की अपने बच्चों के लिए एक ही आस होती है कि उनके बच्चे भविष्य में खूब तरक्की करें और अपने परिवार वालों का नाम रोशन करें, लेकिन वो अपनी इस कयास को वो कभी अपनी बातों से बयां नहीं कर पाते, कुछ इसी तरह की एक कहानी है IAS बनने वाली प्रीति हुड्डा की है, जिनके पिता दिल्ली परिवहन निगम (DTC) में बस चलाते थे. प्रीति के मुताबिक उनके पिता प्रीती से सफलता की बहुत आस थी.
भाग्यपूर्ण एक दिन प्रीती ने आईएएस (IAS) बनकर अपने पिता की इस उम्मीद को पूरा भी कर दिया और जब प्रीती ने इस सफलता के बारे में अपने पिता को बताया तो उन्होनें तुरंत प्रीती को बोला शाबाश बेटा जो कि प्रीति के मुताबिक उनके पिता ने इससे पहले कभी नही बोला था. ऐसे में जाहिर सी बात है प्रीती के लिए खुशी और दोगुनी हो जाने वाली थी. आइए एक बार बेटी और पिता की इस भावुक कहानी को डिटेल में जानते हैं..
पापा का सपना था कि बेटी बने IAS
साल 2017 में अपनी यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा में 288वीं रैंक हासिल करने वाली प्रीती हुड्डा के मुताबिक उनके पिता का शुरू से यही सपना था कि वो आईएएस (IAS) बने और अब प्रिती ने अपने पिता वो सपना साकार दिया है. इस पर उनके कई इंटरव्यू भी हो चुके हैं, जिसमे से एक दैनिक भास्कर का साथ भी देखने को मिला था. इस दौरान लगभग 35 मिनट चले इस इंटरव्यू में प्रीती से करीब 30 सवाल पूछे गए थे.
इस बीच जब उनसे पूछा गया कि उन्होनें अपनी इस सफलता के बारे में परिवार वालों को बताया तो उन सबने क्या कहा, तो इस सवाल पर प्रीती ने बताया कि “जब मेरा UPSC का रिजल्ट आया तो मैंने पापा को फ़ोन किया तो उस वक़्त मेरे पापा बस चला रहे थे, रिजल्ट सुनने के बाद पापा बोले ‘शाबाश मेरा बेटा’, जबकि मेरे पिता मुझे कभी शाबासी नहीं देते थे”.
इसमें एक सवाल में प्रीती से पुछा गया कि आप जेएएनयू से पढ़ाई की हैं, इस यूनिवर्सिटी की इतनी निगेटिव इमेज लोगों के बीच क्यों हैं ? तो इसके जवाब में प्रीति हुड्डा ने कहा कि “जेएनयू सिर्फ़ निगेटिव इमेज के लिए ही नहीं जानी जाती है. इसे भारत की सभी यूनिवर्सिटीज में फर्स्ट रैंक मिल चुकी है.”
प्रीति हुड्डा ने इंटरव्यू में कही मन की बात
बीबीसी हिन्दी से बातचीत में प्रीती ने अपनी पढ़ाई की तैयारी को लेकर कई बाते बताते हुए कहा कि
“यूपीएससी की तैयारी करने के लिए हमें लगातार 10 घंटे की तैयारी की बजाय आपको एक प्लानिंग के थ्रू अपनी पढ़ाई करनी होगी, थोड़ा सोच समझकर दिशा तय करके पढ़ाई करनी चाहिए, अपनी तैयारी को कभी भी बहुत ज़्यादा सीरियस दिमाग़ से मत लीजिए, तैयारी के साथ-साथ मस्ती भी ज़रूर करिए.”
उन्होंने आगे कहा कि
“आप फ़िल्में देखिए, या फिर कुछ ऐसा ज़रूर कीजिए, जिससे आप रिलेक्स हो सकें और बहुत सारी किताबें पढ़ने की बजाय, सीमित तरीके से पढ़िए और उसे ही बार-बार पढ़े, जिससे आपकी कांसेप्ट पूरी तरह से क्लियर हो जाए. मैं बिल्कुल साधारण परिवार की हूँ और संयुक्त परिवार में पली-बढ़ी हूँ, जहाँ खासकर लड़कियों की शिक्षा के बारे में बहुत ध्यान नहीं दिया जाता है.”