इन दिनों केबीसी के 12वें सीजन में अमिताभ बच्चन होस्टिंग कर रहे है. हाल ही में शो में आए एक प्रतियोगी से जब सवाल पूछा कि किस प्रधानमंत्री ने 1971 में राजाओं को मिलने वाला प्रिवीपर्स रोक लिया था, तो वो इस सवाल ने प्रतियोगी के पसीने छुड़ा दिए. क्या आपको मालूम है कि आजादी के बाद से 1971 तक राजाओं को भारत सरकार मोटा धन देती थी, जिस पर इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद रोक लगा दी. हालांकि इस पर देश में गुस्से की तेज प्रतिक्रिया देखने को मिली थी.
इंदिरा गांधी ने किए थे दो बड़े फैसले
1971 में इंदिरा गांधी ने दो बड़े फैसले लिए थे, जिससे बड़े पैमाने पर देश की आम जनता ने इसे दिल से स्वीकारा भी था, लेकिन इन फैसलों से देश का एक बड़ा और प्रभावशाली वर्ग इससे खफा भी हो गया था. इंदिरा गांधी के ये दो बड़े फैसलों में से एक था प्राइवेट बैंकों का सरकारीकरण और दूसरा फैसला था राजाओं के प्रिवीपर्स पर रोक लगाना था.
आपकों बता दें कि आजादी के बाद भारत लगातार गरीबी और कमजोर अर्थव्यवस्था से जूझ रहा था. इसी के बीच सरकार की एक मोटी रकम उन राजाओं को प्रिवीपर्स देने में खर्च हो जाती थी, जिनकी रियासतों का विलय आजाद भारत में किया गया था.
जब राजाओं के प्रीवीपर्स पर उठने लगे सवाल
1947 में भारत को जब आजादी मिली तो इसके कुछ ही सालों बाद राजाओं के प्रिवीपर्स के खिलाफ जनता के बीच गुस्सा पैदा होने लगा. ऐसा माना जाने लगा कि भारत प्रिवीपर्स के तौर पर जनता की भलाई पर खर्च होने वाले धन को बर्बाद कर रहा है. ये बोला गया कि राजाओ के पास तो पहले से ही काफी पैसा है तो उनको प्रीवीपर्स की क्या जरूरत है. सरकार ने भी इसे असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक माना, उसको खत्म करने का प्रस्ताव 1969 में लाया गया लेकिन राज्यसभा में ये विधेयक गिर गया.
आपको बता दें कि लोकसभा में इसे 332-154 वोटों से जीत मिली ,लेकिन राज्यसभा में 149-75 वोट अंतर से हार ही हाथ लगी, जब इसमें इंदिरा गांधी नाकाम रहीं तो उन्होंने राष्ट्रपति वीवी गिरी ने सभी शासकों की मान्यता खत्म करने को कहा. इसे अदालत में चुनौती दी गई. ऐतिहासिक मामले में सुप्रीम कोर्ट से सरकार को फिर झटका लगा.