इन देशो के पास है दुनिया की सबसे खतरनाक फ़ोर्स ,जिनका नाम सुन छुटते है आतंकियों के पसीने

किसी भी देश की सेना अपने देश की रक्षा के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर देते है। देश की रक्षा के लिए किसी भी परिस्थिति में एक कदम आगे आकर दुश्मनों से मोर्चा ले लेते है। सभी देश अपने देश की सेना ,फौज को बहुत ही इज़्ज़त से नवाज़ते है। वही यदि देश पर कोई विपत स्थिति आ जाती है तो उस स्थिति से निपटने के लिए स्पेशल फ़ोर्स तैनात की जाती है। इन स्पेशल फ़ोर्स के साहस से ही आतंकियों और दुश्मनों की योजनाओं को पल भर में पानी फिर जाता है।

विश्वभर में भारत की थल, जल और वायु सेना के पराक्रम विख्यात है। फिलहाल भारत के पास इन सेनाओ के अलावा एक और ताकत है जिसकी लोहा आज सारी दुनिया मानती है। भारत की मरीन कमांडो फ़ोर्स के जवानों की बहादुरी की तारीफ पूरे विश्वभर में की जाती है। हालो और हाहो प्रशिछित इन कमांडो को कई घातक युद्ध हथियार जैसे- रायफल , स्नाइपर से सुसज्जित किया जाता है। यही नहीं इन सैनिकों को विशेष मनोवैज्ञानिक परिस्थितियों से लड़ने का भी सबक सिखाया जाता है। बताते है आज आपको ऐसे ही कुछ सभी देशों की स्पेशल फोर्सेज के बारे में –

मार्कोस, भारत

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दुनिया के सबसे ताकतवर और खतरनाक कमांडो मार्कोस को माना जाता हैं। भारत की ही तरह दुनिया के सभी देशों में स्पेशल फ़ोर्स तैनात है। जिसका नाम सुनते ही लोग काँप उठते है। इंडियन नेवी के स्पेशल मरीन कमांडोज मार्कोस हैं। स्‍पेशल ऑपरेशन के लिए इंडियन नेवी के इन कमांडोज को बुलाया जाता है। इन कमांडो जानकारियां सार्वजनिक नहीं होती हैं।

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भारत की थल, जल और वायु सेना की उपलब्धियां पूरे विश्व में विख्यात है। यही नहीं पूरे विश्वभर में मरीन कमांडो फ़ोर्स के इन जवानों की साहस के लिए सराहना भी मिलती है। हालो और हाहो प्रशिछित जैसे कमांडो को घातक युद्ध हथियार रायफल ,स्नाइपर से सुसज्जित किया जाता है और इन्हे विशेष मनोवैज्ञानिक परिस्थितियों से लड़ने को भी सिखाया जाता है। इन जवानों से सम्बंधित लगभग सभी जानकारियों को भारत ने अब तक पूरे विश्व से गुप्त रखा है। इतना ही नहीं इनकी पहचान और संख्या को भी पूरी तरह से सार्वजनिक नहीं किया जाता है।

ब्रिटिश स्पेशल एयर सर्विस

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यह एक स्पेशल फाॅर्स है ,इन कमांडो के साहस का अंदाजा इस बात से लगा सकते है कि दुनिया के लगभग सभी स्पेशल फोर्सेस को इन्ही के मॉडल पर ही बनाया जाता है। यही नहीं अमेरिका कि डेल्टा फ़ोर्स भी इसी मॉडल के आधार पर बनायी गयी है। युद्ध सम्बन्धी सभी परिस्थितियों से निपटने के लिए दुनियाँ में इनका कोई विकल्प नहीं है।

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ये फ़ौज सील की भांति मैदानों में लड़ने के लिए जितना प्रशिछित हैं उतना ही एमआई-5 और एमआई-6 जितना गहन जांच में सक्षम है। समकालीन एसएएस पर थोड़ी सार्वजनिक रूप से सत्यापित करने योग्य जानकारी मौजूद है, क्योंकि आमतौर पर ब्रिटिश सरकार अपने काम की प्रकृति के कारण विशेष बलों के मामलों पर टिप्पणी नहीं करती है। विशेष वायु सेवा में तीन इकाइयां शामिल हैं। एक नियमित और दो सेना रिजर्व (एआर) इकाइयां।

नेवी सील

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दुनिया के सबसे खतरनाक सबसे ताकतवर कमांडो है। आतंकी ओसामा बिन लादेन को मौत के घाट उतारने के बाद पूरी दुनिया में नेवी सील का नाम बहुत तेजी से फैला है। आज हर कोई इसका नाम जानता है। अमेरिका के सबसे अच्छे कमांडो नेवी सील हैं जो जमीन पर होने वाले सभी ऑपरेशन में नेवी सील सबसे कारगर सफल साबित हुए हैं।

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नवीनतम हथियारों से सुसज्जित ये जवान दुश्मनों के लिए यमराज का दूसरे रूप से कम है। हर मौसम और कठिन से कठिन परिस्थितियों में युद्ध के लिए इनको हर तरह के हथियारों और उपकरणों से युक्त किया गया है। किसी भी तरह के ऑपरेशन को एक अंजाम तक पहुंचाने के लिए इन्ही कमांडोज़ की नियुक्ति की जाती है। कमांडोस को प्रशिक्षित करने के लिए इन्ही की सबसे ज्यादा नियुक्त की जाती हैं।

पाकिस्तान SSG-

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पाकिस्तान आज आतंकवाद आंतरिक लड़ाई लड़ रहा है, लेकिन उसके घर के हालात खुद के द्वारा पाले गए आतंकियों के नापाक योजनाओं के कारण धूमिल हैं। लेकिन वही पाकिस्तान भी इस क्षेत्र में किसी भी देश से पीछे नहीं है। ब्रिटिश SAS और अमेरिकन स्पेशल फोर्सेज कि तरह ये कोमंडोस साल 1956 में “ब्लैक स्ट्रोक” के नाम से तैयार किया गया था।

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इनकी बहादुरी को देख कर ही एक बार रुसी राष्ट्रपति ने इनके बारे में कहा कि यदि इन्हें हमारे हथियार दे दिए जाएँ तो ये किसी भी जंग में अपना झंडा गाड सकते हैं। फिर इस बात का आज तक असमंजस है कि इतनी सक्षम कमांडो फ़ोर्स के होते हुए भी यह देश आतंकवादियों का अड्डा कहलाना पसंद करता है।

रुसी स्पेंत्स्नाज़

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ये रुसी कमांडो काफी खतरनाक होते हैं। दुनिया कि सबसे प्राणघातक प्रशिक्षण से होकर गुजरने वाले कमांडो होते है। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी रूस को इन्होने उबारने की काबिलियत दिखाई है। इतना खतरनाक प्रशिक्षण है कि यूरोप और अमेरिका में प्रतिबंधित है। पूछताछ में इनसे कुछ भी उगलवाना नामुमकिन है और इन्हें किसी भी प्रकार के दर्द को बर्दास्त करने के बजाय उसे मनोरंजन करना सिखाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि एक बार अफगानिस्तान में युद्ध के दौरान, सोवियत सेना के विशेष बल, विशेष सेवा समूह के साथ सोवियत संघ के विशेष संघर्ष में आया था।

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इस इकाई को अफगानों के रूप में प्रच्छन्न किया गया था, और सोवियत संघ से लड़ने वाले मुजाहिदीन को समर्थन प्रदान किया था। अधिकतर रूसी सैन्य विशेष बल इकाइयों को उनके प्रकार के गठन और अन्य सोवियत या रूसी सैन्य इकाइयों की तरह एक संख्या से जाना जाता है। दो अपवाद जातीय चेचन स्पेशल बटालियन वोस्तोक और जैपद थे जो 2000 के दशक के दौरान मौजूद थे। रूसी सशस्त्र बलों में विशेष प्रयोजन इकाइयों की सूची 2012 की दी गई है।

डेल्टा फ़ोर्स अमेरिका

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विशेष रूप से डेल्टा के नाम से विश्व प्रसिद्ध इस कमांडो फ़ोर्स को दुनिया की सबसे खतरनाक और तेज कार्यवाई करने वाला माना जाता है। अमेरिका के खुफिया बलों में इसका स्थान सबसे ऊपर था। इन कमांडोस को सौंपे गए बहुत से कार्य के उच्चकोटि के वर्गीकृत होते हैं। यही नहीं जनता को इनके बारे में कभी पता भी नहीं चल सके। फिलहाल कुछ कार्यों का ब्यौरा सार्वजनिक हो गया है।

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साल 1997 में विभिन्न आतंकवादी गतिविधियों के बाद इसे सार्वजनिक तौर से प्रदर्शित किया गया। इसका संस्थापक/सह संस्थापक भूतपूर्व ब्रिटिश 22 स्पेशल एयर सर्विस का एजेंट था जिसने ब्रिटिश कमांडो फ़ोर्स SAS की तर्ज पर ही अमेरिका में डेल्टा फ़ोर्स को तैयार किया गया था। डेल्टा फ़ोर्स का प्रमुख काम आतंकवादी गतिविधियों को रोकना तथा अन्य राष्ट्रविरोधी ताकतों को रोकना है। जिसके लिए अमेरिकी सरकार ने इन्हें अत्याधुनिक हथियारों से सुसज्जित कर रखा है।

JW-GROM, पोलैंड-

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पोलैंड की कमांडोस का पूरा नाम Jednostka Wojskowa GROM है यह पोलैंड की आतंकवाद विरोधी एक अत्यंत सक्षम बल है। जुलाई 13,साल 1990 को पोलैंड में आंतक के भय के कारण इस फ़ोर्स को बनाया गया था। यह कमांडोस सभी आतंकवाद-रोधी और विशेष अभियानों के साथ-साथ फ्रॉगमैन, स्निपिंग और पैराशूटिंग में एक ही विशेष प्रशिक्षण से होकर गुजरते हैं। ग्रोम का मतलब ‘तूफ़ान’ होता है जो कि पोलैंड कि पांच प्रमुख सुरक्षा बलों में से एक है। नवीनतम तकीनीक के हथियारों और अपने मजबूत हौसलों से इन जवानो ने कई बार दुश्मनों के मैदाने-जंग में दुश्मनों के पसीने छुडाये है।

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सीमा पार हो रही गतिविधियों पर भी हमेशा इनकी पैनी नजर रहती है। जीओएम सैनिकों के प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न प्रकार के अनुशासन शामिल हैं। JW GROM स्वीडन के प्राथमिक नौ सेना बेस कार्लस्क्रोन में स्थित सामरिक संचालन के लिए स्वीडिश नौसेना की विशेष कमान से बुनियादी विशेष संचालन प्रशिक्षण प्राप्त करता है। यही नहीं प्रत्येक समूह को कई पेशेवर चिकित्सकों द्वारा समर्थित किया जाता है। GROM सैनिकों को पकड़ने या मारने के तरीकों में ट्रेनिंग दी जाती है।

GSG 9,जर्मनी-

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GSG 9,जर्मनी के कमांडोस ने अब तक 1500 से अधिक सफल ऑपरेशन में अपना नाम रोशन किया है। इन कमांडो सुरक्षा बल ने अब तक सिर्फ 5 ऑपरेशन में असफलता का मुंह देखा है। ग्रीष्म ओलंपिक खेलों में 11 इसराइली खिलाडियों के बंधक बनाये जाने कि घटना के बाद साल 1973 में सैवाधानिक रूप से इनका गठन किया गया था। विभिन्न प्रकार के सुरक्षा ऑपरेशन , स्नाइपर ऑपरेशन या दुश्मन ठिकानों को बर्बाद करने में इन सिपाहियों ने महारत हासिल किया हैं।

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4.5 महीने के प्रशिक्षण की समयावधि में बुनियादी और विशेष प्रशिक्षण शामिल है। शुरुआती प्रशिक्षण अनुभाग के दौरान उम्मीदवार काफी गहन प्रशिक्षण से होकर गुजरते हैं। जो उन्हें GSG9 में ऑपरेटरों के रूप में अपने कार्यों के लिए तैयार करता है। प्रशिक्षण में निशान प्रशिक्षण, सामरिक पाठ्यक्रम, तिमाही मुकाबला, भूमि नेविगेशन, चढ़ाई, रैपेलिंग और चिकित्सा प्रशिक्षण जैसे प्रशिक्षण शामिल हैं। मूल प्रशिक्षण कठोर परीक्षण के अंतिम सप्ताह के साथ समाप्त होता है जहां उम्मीदवारों को हतोत्साहित तनाव के तहत अपने कौशल का प्रदर्शन करने के लिए कहा जाता है।

जीआईजीएन, फ्रांस-

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यह फ़ोर्स दुनिया के सबसे खतरनाक फाॅर्स में से एक है। National Gendarmerie Intervention Group या GIGN नाम से प्रसिद्ध इस सुरक्षा बल के नाम से ही भय दिल में बस जाता है। म्यूनिख ओलंपिक गेम्स में बंधियो के मारे जाने के पश्चात साल 1972 में जीआईजीएन स्पेशल फोर्स का गठन किया गया। साल 1973 में भविष्य के किसी भी खतरे से निपटने के लिए तैयार की गयी इस फ़ोर्स को किसी भी तरह की परिस्थितियों से निपटने की प्रशिक्षण दी गयी है।

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वही जीआईजीएन का एक लक्ष्य है कि अपनी परवाह किए बिना लोगों की जान बचाना। जीआईजीएन का काम यह है कि राष्ट्र के खिलाफ हर उठने वाली आवाज को खत्म करना। यही नहीं जीआईजीएन की 200 स्ट्रांग यूनिट्स हैं। फ्रेंच लॉ के हिसाब से इस फोर्स की तस्वीर छापने पर भी बैन है। किसी भी आतंकवादी गतिविधियों से निपटना इनके बाएं हाथ का खेल है।

EKO कोबरा,ऑस्ट्रिया

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ऑस्ट्रिया की EKO कोबरा को Einsatzkommando Cobra के नाम से भी जाना जाता है। इसकी स्थापना साल 1978 में की गयी थी। युद्धों में अपनी सक्रियता और तेजी के बावजूद भी इसे पता नहीं क्यों नीचे स्थान दिया गया है। इस बल के नाम हवा में ही प्लेन हाईजैक को बर्बाद करने का अनोखा रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज करा रखा है। इस यूनिट का मुख्यालय वीनर न्यूस्टाड (लोअर ऑस्ट्रिया) में स्थित है।

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यह सभी प्रशासनिक गतिविधियों और EKO कोबरा अधिकारियों के लिए ट्रेनिंग प्रदान करता है। इसके अलावा विभागों में वियना, ग्राज़, लिंज़ और इंस्ब्रुक शामिल हैं, जो क्लैगनफ़र्ट, साल्ज़बर्ग, और फेल्डकिर्च में छोटे फील्ड ऑफिस हैं। हर विभाग में चार दल होते हैं और हर क्षेत्र कार्यालय में दो होते हैं। यह संरचना 70 मिनट के भीतर ऑस्ट्रिया में कहीं भी इकाइयों को तैनात करने की अनुमति देती है।