भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) पिछले काफी समय से अपने बल्ले से वो धमाकेदार पारी नहीं खेल पाए है, जिसका फैंस को काफी बेसर्बी से इंतजार है। बता दें ढाई साल से ज्यादा समय होने वाला है Virat Kohli के बल्ले से अब तक एक शतक नहीं निकला है, जिसको लेकर हमेशा आलोचना होती रही है।
जहां कुछ दिग्गजों ने कोहली को सपोर्ट किया, तो वहीं कुछ दिग्गज खिलाड़ियों ने आलोचना की है, लेकिन टीम इंडिया के कोच राहुल द्रविड़ का कुछ और ही मानना है। उन्होंने हाल ही में आलोचकों के मुंह पर जोर से तमाचा मारते हुए विराट कोहली का सपोर्ट किया है।
Virat Kohli की फॉर्म पर राहुल द्रविड़ ने तोड़ी चुप्पी
दरअसल भारतीय टीम के स्टार खिलाड़ी विराट कोहली (Virat Kohli) साल 2019 के बाद से अब तक इंटरनेशनल क्रिकेट में कोई शतक नहीं जड़ पाए है। जहां दुनिया भर के क्रिकेट फैंस को विराट कोहली की 71वीं इंटरनेशनल सेंचुरी का बेसब्री से इंतजार है। तो वहीं बर्मिंघम में भारत और इंग्लैंड के बीच पांच मैचों की सीरीज का आखिरी रिशेड्यूल्ड टेस्ट मैच 1 जुलाई से खेला जाना है और इस मैच से पहले हेड कोच राहुल द्रविड़ ने पहली बार विराट की फॉर्म और 71वीं सेंचुरी को लेकर एक बड़ा बयान दिया है।
‘कोहली से ज्यादा मेहनती व्यक्ति नहीं देखा’
बता दें हाल ही में टीम इंडिया के हेड कोच राहुल द्रविड़ ने विराट कोहली (Virat Kohli) का सपोर्ट करते हुए आलोचकों को करारा जवाब देते हुए कहा कि उन्हें उससे शतक नहीं चाहिए। उन्होंने अपने बयान में कहा,
‘मैं आपके उस बात से सहमत नहीं हूं कि वह 30 की उम्र के पार गलत साइड में चला गया है। मैंने अब तक जितने लोग देखे, उनमें सबसे मेहनती व्यक्ति वही है। जिस तरह से वह प्रैक्टिस मैच में खेला था, वह हर बॉक्स पर राइट का टिक लगा रहा था’
‘लोग शतक को ही सफलता समझते है’
बता दें इंग्लैंड के खिलाफ शुक्रवार से शुरू हो रहे पांचवें टेस्ट से पहले टीम इंडिया के हेड कोच राहुल द्रविड़ ने विराट कोहली (Virat Kohli) को लेकर साथ ही कहा, ‘खिलाड़ी अपने करियर के दौरान अलग-अलग दौर से गुजरते हैं और मुझे नहीं लगता कि विराट में प्रेरणा या ललक की कमी है।’
उन्होंने कहा, ‘हमेशा जोर शतक पर नहीं रहना चाहिए। केपटाउन में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ कठिन हालात में बनाए गए 79 रन भी उम्दा थे। वह सेंचुरी तक नहीं पहुंचे लेकिन वह बढ़िया पारी थी। उसने इतने ऊंचे मानदंड बनाए हैं कि लोग शतक को ही कामयाबी मानते हैं लेकिन एक कोच के नजरिये से मैं उससे मैच जिताने वाला योगदान चाहता हूं, भले ही वह 50 या 60 रन क्यों ना हो।’