जब भी हम किसी खलनायक की बात करते हैं तो सबसे पहले हमारे जहन में एक ही नाम आता हैं, वह हैं दिवंगत अभिनेता अमरीश पुरी (Amrish Puri)। बॉलीवुड इतिहास से देखें तो अब तक बतौर खलनायक अमरीश पुरी (Amrish Puri) की जगह कोई भी नहीं ले पाया हैं। वो जब भी पर्दे पर विलेन के रूप में दिखाई दिए हैं तो लोगों को डराने में कामयाब हुए। उन्होंने कई फिल्मों में खलनायक के किरदार से लोगों के दिल में अपनी जगह बनाई हैं।
आज भी लोग उन्हें उनके किरदारों के लिए याद करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अमरीश पुरी (Amrish Puri) जी बॉलीवुड में एक हीरो बनने का सपना लेकर आए थे, जो कभी पूरा नहीं हो सका और वे बॉलीवुड के इतिहास के पन्नों में एक बेस्ट खलनायक बन कर रह गए। आज हम इस लेख के जरिये आप को इस बारे में बताएगें की उन्हें एक खलनायक का टैग कैसे मिला।
Amrish Puri ने मराठी फिल्म से की थी शुरूआत
बॉलीवुड के खलनायक अमरीश पुरी (Amrish Puri Birthday) का जन्म 22 जून को 1932 पंजाब के जालंधर में हुआ था। क्या आपको पता हैं कि अमरीश पुरी जी के बड़े भाई मदन पुरी भी फिल्मों में दिखाई दें चुके हैं? जी हां ये सच हैं। जब बॉलीवुड में हीरो बनने का सपना लेकर अमरीश पुरी मुंबई आए थे तो उन्होंने अपने बड़े भाई से काम मांगा था तो उन्होंने अमरीश से कह दिया था कि उनका चेहरा हीरो जैसा नहीं है।
भाई के ऐसा कहने पर अमरीश पुरी ने अपने भाई को गलत साबित करने के लिए थिएटर से शुरूआत की थी। काफी मेहनत के बाद साल 1967 में उनकी पहली मराठी फिल्म ‘शंततु! कोर्ट चालू आहे’ रिलीज हुई थी। लेकिन उन्होंने बॉलीवुड में 1971 में फिल्म ‘रेशमा और शेरा’ से डेब्यू किया था।
‘मोगैम्बो’ के किरदार से फेमस हुए थे अमरीश पुरी
दिवंगत अभिनेता अमरीश पुरी (Amrish Puri) अपमे निभाए बहुत से किरदारों के लिए फेमस हैं लेकिन उन्होंने फिल्म ‘शानदार’ में निभाए किरदार मोगैम्बो से अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। इस फिल्म में उनका एक डायलॉग आज भी लोगों की जुबान पर रटा हआ हैं, वे हैं ‘मोगैम्बो खुश हुआ’। इस फिल्म के किरदार मोगैम्बो से अमरीश पुरी ने खूब सफलता हासिल की थी।