Bollywood

फिल्मों में लीड रोल करके अपना नाम बनाते हमने कई Bollywood सितारों को देखा है. लेकिन अगर हम कहे कि केवल 5 मिनट के रोल में आकर आपने पूरी फिल्म में जान डालनी हो तो क्या ये आपके लिए मुमकिन हो पाएगा? इन कलाकारों का रोल उस वक्त और अहम हो जाता है जब किसी फिल्म की कहानी मजेदार न हो लेकिन इन कलाकारों के आने से फिल्म में जान आ जाए.

आज हम ऐसे ही कुछ सितारों की एक कड़ी को आपके सामने रखने वाले हैं, जो अपने दौर की लगभग हर फिल्म में देखे गए. लोग तो यहां तक कहते हैं कि एक दौर में इनके बिना कोई फिल्म बनती ही नहीं थी. ये सिर्फ़ हिंदी फिल्मों के अभिनेता नहीं बल्कि अलग-अलग भाषाओं की फिल्मों में काम कर चुके अभिनेता हैं. तो आइए आज Bollywood के इन्हीं स्टार्स पर नज़र डालते हैं..

#1 जॉनी लीवर

अपने समय में हर फिल्म में नजर आते थे ये सितारे, और सिर्फ 5 मिनट के रोल में ही डाल देते थे जान

एक समय में फिल्मीं अभिनेतओं की नकल करते हुए सड़क पर पेन बेचने वाले जॉनी लीवर आज भी Bollywood के सबसे बेहतरीन कॉमेडियंस में से एक माने जाते हैं. हिन्दी फिल्म दर्द का रिश्ता से अपने फिल्मी करियर की शुरूआत करने वाले जॉनी लीवर के साथ तो ऐसा हुआ जैसे मानो एक पक्षी को खुले आसमान में छोड़ दिया हो. क्योंकि जिस पहचान की वो बरसों से तलाश में थे वो उन्हें मिल चुकी थी.

350 से ज़्यादा फिल्मों में काम कर चुके जॉनी लीवर को उनके अभिनय के लिए 13 बार फिल्म फेयर अवार्ड मिल चुका है. बेशक आज वो ज्यादा फिल्मों में नज़र नहीं आते लेकिन जितनी में भी उनका किरदार होता है फैंस उस फिल्म को देखने के इच्छुक हो ही जाते हैं. क्योंकि जॉनी अभिनेता होने के अलावा उन सब के लिए प्रेरणा भी हैं जो अपने हुनर के दम पर लंबी उड़ान भरने का इंतज़ार कर रहे हैं.

#2 अमरीश पुरी

अपने समय में हर फिल्म में नजर आते थे ये सितारे, और सिर्फ 5 मिनट के रोल में ही डाल देते थे जान

अमरीश पुरी हिन्दी फिल्मों में अपने खलनायक किरदारों के लिए काफी मशहूर हुए थे. गौरतलब है कि जब भी कोई Bollywood में खलनायक का जिक्र करता था तब हर बार एक ही चेहरा सामने आता था और वो चेहरा था अमरीश पुरी साहब का जिन्होनें फिल्मी दुनिया में कदम रखने से पहले रंगमंच से नाटककार सत्यदेव दुबे के लिखे नाटकों पर काम किया और इन्हीं नाटकों ने उन्हें टीवी विज्ञापनों तक पहुंचाया.

इसके बाद तो उनका फिल्मी सफर ऐसे शुरू हुआ कि उन्होंने सफलता के शिखर को छू कर ही दम लिया. एक के बाद एक सुपर हिट फिल्म करने के बाद उन्हें इस इंडस्ट्री में पहचान मिलती गई और इस दौरान उन्होनें अपने करियर में 400 से ज़्यादा फिल्में कीं इसके लिए पुरी साहब ने कई फिल्म फेयर अवार्ड भी जीते. लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण 12 जनवरी 2005 को वो हम सभी को अलविदा कह गए.

#3 मेहर मित्तल

अपने समय में हर फिल्म में नजर आते थे ये सितारे, और सिर्फ 5 मिनट के रोल में ही डाल देते थे जान

बेशक मेहर मित्तल साहब Bollywood का हिस्सा नहीं हो लेकिन सच्चे सिनेमा फैंस के लिए इस नाम को किसी परिचय की ज़रूरत नहीं है. मित्तल साहब पंजाबी सिनेमा के कॉमेडी किंग कहे जाते थे. एक समय था जब कोई भी पंजाबी फिल्म इनके बिना पूरी नहीं मानी जाती थी. साल 1974 में अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाले मित्तल साहब ने करीब 300 फिल्मों और कई नाटकों में अभिनय किया था.

इस दौरान उन्होनें मशहूर पंजाबी फिल्में जैसे इश्क निमाना, चन्न परदेसी, पुत्त जट्टां दे, लौंग दा लिशकारा, निम्मो जैसी हिट फिल्मों में निभाय गए इनके शानदार अभिनय को लोग आज भी बहुत पसंद करते हैं. मेहर मित्तल को उनके अभिनय के लिए दादा साहेब फाल्के अवार्ड तथा पंजाब स्टेट अवार्ड जैसे कई पुरस्कारों द्वारा सम्मानित किया गया. 22 अक्टूबर 2016 को कॉमेडी का ये बादशाह दुनिया को अलविदा कह गया.

#4 निरूपा रॉय

अपने समय में हर फिल्म में नजर आते थे ये सितारे, और सिर्फ 5 मिनट के रोल में ही डाल देते थे जान

निरूपा रॉय को अगर Bollywood इंडस्ट्री की मां कहा जाए तो गलत नहीं होगा क्योंकि उन्होनें न जाने अपने करियर में कितनी बार मां का किरदार निभाया है. इसमें उन्हें अमिताभ बच्चन की फिल्मीं दुनिया के मां के किरदार में सबसे ज्यादा बार देखा गया. गौरतलब है कि, किसी अभिनेत्री ने इतनी बार बच्चन साहब के साथ नायिका का किरदार नहीं निभाया होगा जितनी बार निरूपा रॉय ने उनकी मां का किरदार निभाया.

साल 1931 में एक गुजराती परिवार में जन्मीं कोकिला किशोरचंद्र बलसारा की 15 साल में कमल रॉय से शादी हो गई. 1946 में रनकदेवी नामक गुजराती फिल्म से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद कोकिला किशोरचंद्र बलसारा बन गईं निरूपा रॉय. एक समय ऐसा था जा जब हर फिल्म में मां का किरदार इन्हीं के पास होता था. इसी तरह इन्होंने लगभग 300 फिल्मों में अभिनय किया.

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