गुरु दत्त
गुरु दत्त को जिंदगी के सफर में शोहरत तो मिली पर साथ ही अधूरा प्यार, तन्हा जिंदगी और बेवक्त मौत भी मिली। एक निर्देशक और एक अभिनेता दोनों ही रूपों में गुरुदत्त को सफलता प्राप्त हुई पर अपनी निजी जिंदगी में उन्हें तन्हाई के अलावा और कुछ भी नहीं मिला। उनकी निजी जिंदगी में प्यार की कमी थी या कहें कि प्यार तो था पर उनकी एक गलती के कारण सब कुछ बदल गया। जिस रात के काले अंधेरों के आगोश में गुरुदत्त मौत की नींद सो गए थे उस रात उन्होंने जमकर शराब पी थी, इतनी उन्होंने पहले कभी नहीं पी थी।
गीता के साथ उनकी नोकझोंक हो गई थी। गीता ने उनकी बिटिया को उनके साथ कुछ वक्त बिताने के लिए भेजने से इंकार कर दिया था। गुरुदत्त अपनी पत्नी को बार-बार फोन कर रहे थे कि वह उन्हें अपनी बेटी से मिलने दें लेकिन गीता फोन नहीं उठा रही थीं। हर फोन के साथ गुरुदत्त का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था।
अंत में उन्होंने यह संकेत देते हुए कहा, ‘बच्ची को भेज दो या फिर तुम मेरा मरा मुंह देखोगी’। इसके बाद उन्होंने करीब एक बजे खाना खाया और ऐसे सोए कि दुबारा नहीं उठे। 10 अक्टूबर साल 1964 को गुरुदत्त ने अपने कमरे में ही आत्महत्या की थी।आज गुरुदत्त को गए हुए 49 साल हो गए है।