अगर किसी को सिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसको आपसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है, ऐसी ही कहानी है कश्मीर के गाजी अब्दुल्ला की जिन्होंने अपने पहले ही प्रयास में कश्मीर प्रशासनिक सेवा में सफलता हासिल कर ली, और आज कश्मीर ही नहीं पूरा देश उनकी सफलता से प्रेरणा ले रहा है.
बचपन से बड़ा ही कुछ बड़ा करने की उमंग के साथ गाजी अब्दुल्ला एक अनाथालय में पले बड़े है. आइये जानते है कैसे अपनी परेशानियों को किनारे करते हुए कश्मीर की प्रशासनिक सेवा को अपने पहले ही प्रयास में पार कर लिया
जम्मू कश्मीर : महज ढाई साल की उम्र में पिता की हो गयी थी मौत
अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी से अपनी स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी करने वाले गाजी अब्दुल्ला के सर से महज ढाई साल की उम्र में पिता का साया उठ गया था. जिसके बाद उनके रिश्तेदार ने उन्हें एक अनाथालय में छोड़ दिया.
वही श्रीनगर के अनाथालय में पले बड़े गाजी अब्दुल्ला ने बचपन से ही परेशानियों को बेहद करीब से देखा है, इसलिए उन्होंने समाज को सुधारनें की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पहले ही प्रयास में कश्मीर प्रशासनिक सेवा को पार कर लिया. जिसके बाद अब्दुल्ला कश्मीर ही नहीं पुरे पुरे देश के लिए एक मिशाल पेश की है.
माँ को दिया सफलता का श्रेय
गाजी अब्दुल्ला ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी माँ को दिया है. बता दें उनकी माँ कभी स्कूल नहीं जा पाई थी, इसलिए उन्हें पता था शिक्षा का महत्व क्या होता है. उनकी माँ ने बचपन से अब्दुल्ला को शिक्षा के महत्व के बारे में समझाती रही है, उनका सपना था की उनका बेटा बड़ा होकर एक अफसर बनें. इस उद्देश्य से उन्होंने गाजी को बचपन से ही कठोर अनुशासन में रखा था.
अपनी माँ को इस सफलता का श्रेय देते हुए वो गाजी अब्दुल्ला कहते है, ”अनाथालय में रहने से मेरे अंदर अनुशासन पैदा हुआ. मेरी सफलता का श्रेय मेरी मां को जाता है.
पुरानी किताबों और इंटरनेट की मदद से हासिल किया लक्ष्य
गाजी अब्दुल्ल्ला बताते है कि उन्होंने शुरू से ही सेकेंड हेंड किताबों से पढाई की है, और इंटरनेट पर उपलब्ध मुफ्त जानकारियों को भरपूर इस्तेमाल किया था. आपकों बता दें कश्मीर प्रशासनिक सेवा वहाँ की सिविल सेवा है. अपनी तैयारी के बारे में जानकारी देते हुए गाजी कहते है कि, ”मैंने बहुत ही बुनियादी स्तर से तैयारी शुरू की थी. मैंने NCERT की किताबों और बाद में कुछ मानक सिविल सेवा की किताबों पर भरोसा किया. इसके साथ ही, मैं एक आदिवासी छात्रावास में रहने वाले छात्रों से मिलने के लिए शाम को लगभग आदिवासी छात्रावास में जाया करता था.”
इस पद के लिए अधिकारियों को जम्मू और कश्मीर लोक सेवा आयोग द्वारा एक परीक्षा के माध्यम से उमीदवारों का चयन किया जाता है, जिसे जेकेएएस परीक्षा के रूप में देखा जाता है.
HINDNOW.COM गाजी अब्दुल्ला के उज्जवल भविष्य की मंगल कामना करते हुए, उनकी सफलता के लिए बधाईयाँ देता है. रोजाना ऐसी ही प्रेरणादायक कहानियों से रूबरू होने के लिए बने रहिये हिन्दनाव.कॉम के साथ.