आजकल हर एक आदमी स्ट्रेस भरी जिंदगी जी रहा है, इस भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी के पास एक दूसरे के लिए समय नहीं है. लोग इसी स्ट्रेस की वजह से डिप्रेशन में चले जाते हैं, जो बाद में उनके लिए प्राणघातक साबित होती है. आज हम आपकों इस स्ट्रेस को कम करने लिए कुछ मजेदार जोक्स लेकर आये हैं जो आजकल सोशल मीडिया पर काफी ट्रेंडिंग हैं. हम दावा करते हैं कि इन जोक्स को पढ़कर आपकी हंसी रुकेगी नहीं.
तो चलिए कम करते हैं आपके स्ट्रेस को और दिखाते हैं आपकों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे कुछ जोक्स:
जोक्स 1:
एक पागल खाली पेपर को बार-बार चूम रहा था
दूसरा पागल- ये क्या है?
पहला- लव लेटर है
दूसरा- मगर ये तो खाली है
पहला- आज कल बोलचाल बंद है
जोक्स 2:
जोक्स 3:
पार्क के किनारे एक खूबसूरत लड़की को अकेला पाकर
पप्पू हाथ में फूल लिए उसका पीछा कर रहा था.
लड़की- तुम्हे पता है! पीछे मेरी मां आ रही है?
पप्पू- अरे, हम तो खानदानी आशिक है.
तुम्हारी मां के पीछे मेरे पिताश्री आ रहे हैं.
जोक्स 4:
जोक्स 5:
पति जैसे ही घर पहुंचा पत्नी ने उसे लात-घूंसों से पीटना शुरू कर दिया
बुरी तरह से पिटने के बाद पति ने जब पिटाई का कारण पूछा
तो पत्नी बोली, “पड़ोस वाली वाले शर्मा जी का चक्कर अपनी पड़ोसन के
साथ चल रहा है”
पति- तो उसमें मुझे क्यों पीटा?
पत्नी- ताकि खौफ कायम रहे
जोक्स 6:
जोक्स 7:
पत्नी: अगर आपके बाल
इसी रफ्तार से झड़ते रहे तो
मैं आपको तलाक दे दूंगी.
पतिः हे प्रभु और
मैं पागल अब तक इनको
बचाने की कोशिश कर रहा था
जोक्स 8:
जोक्स 9:
एक अध्यापक अपने शिष्यों के साथ घूमने जा रहे थे। रास्ते में वे अपने शिष्यों के अच्छी संगत की महिमा समझा रहे थे। लेकिन शिष्य इसे समझ नहीं पा रहे थे। तभी अध्यापक ने फूलों से भरा एक गुलाब का पौधा देखा।
उन्होंने एक शिष्य को उस पौधे के नीचे से तत्काल एक मिट्टी का ढेला उठाकर ले आने को कहा।
जब शिष्य ढेला उठा लाया तो अध्यापक बोले – “ इसे अब सूंघो।”
शिष्य ने ढेला सूंघा और बोला – “गुरु जी इसमें से तो गुलाब की बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है।”
तब अध्यापक बोले – “ बच्चो ! जानते हो इस मिट्टी में यह मनमोहक महक कैसे आई ? दरअसल इस मिट्टी पर गुलाब के फूल, टूट टूटकर गिरते रहते हैं, तो मिट्टी में भी गुलाब की महक आने लगी है जो की ये असर संगत का है।
और जिस प्रकार गुलाब की पंखुड़ियों की संगति के कारण इस मिट्टी में से गुलाब की महक आने लगी उसी प्रकार जो व्यक्ति जैसी संगत में रहता है उसमें वैसे ही गुणदोष आ जाते हैं।