Laxmi Ji Ki Aarti: दीपावली के दिन माता लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi mata ki aarti pdf) की जाती है. इस पावन अवसर पर माता की आरती करने से घर में सुख-समृद्धि आती है. हर किसी का जीवन सुख और शांति से भर जाता है. लक्ष्मीजी की आरती (Shree Laxmi Mata ki aarti) बहुत ही शुभकारी मानी जाती है, मां को याद करने से सारे सकंट दूर हो जाते हैं.
श्री लक्ष्मी माता की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti)……………..
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
अर्थ:हे लक्ष्मी माता! आपकी जय हो। जो भी भक्त आपका दिन-रात ध्यान करता है, उसे हरि-विश्णु की कृपा प्राप्त होती है।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।
अर्थ:हे माता! आप ही संपूर्ण जगत की माता हैं, जो उमा, रमा और ब्रह्माणी के रूप में जगत की रचना और पालन करती हैं।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।
ओम जय लक्ष्मी माता।
अर्थ: सूर्य और चंद्रमा आपका ध्यान करते हैं, नारद और ऋषि आपकी स्तुति गाते हैं।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख-संपत्ति दाता।
मैया सुख-संपत्ति दाता।
अर्थ: आप दुर्गा के शुद्ध रूप में हैं और अपने भक्तों को सुख, समृद्धि और संपत्ति प्रदान करती हैं।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।
ओम जय लक्ष्मी माता।
अर्थ:जो भी भक्त आपका ध्यान करता है, उसे वैभव, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता।
अर्थ: आप चाहे जहां भी निवास करती हों, सभी को शुभता और कल्याण प्रदान करती हैं।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता।
ओम जय लक्ष्मी माता।
अर्थ: आप कर्म के प्रभाव को उजागर करती हैं और घर की धन-संपत्ति की रक्षा करती हैं।
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता।
अर्थ: जिनके घर में आप रहती हैं, वहां सभी सद्गुण, सुख और शांति आती है।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता।
ओम जय लक्ष्मी माता।
अर्थ:आपके कृपा होने पर सभी कार्य संभव हो जाते हैं और मन को भय या चिंता नहीं रहती।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता।
अर्थ: आपकी कृपा के बिना यज्ञ, वस्त्र और जीवन की समृद्धि असंभव है।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता।
ओम जय लक्ष्मी माता।
अर्थ: भोजन, समृद्धि और जीवन का वैभव आपकी कृपा से आता है।
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता।
अर्थ: आप शुभ गुणों की धनी हैं और समुद्र मंथन से उत्पन्न क्षीरसागर की समृद्धि से जुड़ी हैं।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।
ओम जय लक्ष्मी माता।
अर्थ: आप ही सभी रत्नों की स्रोत हैं, आपके बिना कोई इन्हें प्राप्त नहीं कर सकता।
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
मैया जो कोई जन गाता।
अर्थ: जो भी भक्त इस आरती को गाता है, उसे माता की कृपा प्राप्त होती है।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।
ओम जय लक्ष्मी माता।
अर्थ: आरती के समय भक्त का हृदय आनंद से भर जाता है और उसके पाप दूर हो जाते हैं।
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
अर्थ: हे लक्ष्मी माता! आपकी जय हो। जो भी भक्त आपका दिन-रात ध्यान करता है, वह हरि-विश्णु की कृपा पाता है।
दोहा
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यम्, नमस्तुभ्यम् सुरेश्वरि।
हरिप्रिये नमस्तुभ्यम्, नमस्तुभ्यम् दयानिधे।।
पद्मालये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं च सर्वदे।
सर्व भूत हितार्थाय, वसु सृष्टिं सदा कुरुं।।
अर्थ: हे लक्ष्मी माता, मैं आपको नमस्कार करता हूँ। आप हरि प्रिय हैं और दया की निधि हैं। आप सम्पूर्ण जगत की भलाई के लिए सदैव धन-संपत्ति प्रदान करें।
सारांश
आरती में मां लक्ष्मी की स्तुति की गई है। आरती में बताया गया कि माता लक्ष्मी सुख, संपत्ति, समृद्धि और कल्याण देती हैं। जो भक्त इसे श्रद्धा से गाता है, उसके जीवन में सुख-समृद्धि, भक्ति और पापों का नाश होता है।
माता लक्ष्मी का जन्म
- माता लक्ष्मी का जन्म समुद्र मंथन (चक्रवात) से हुआ था।
- देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था ताकि अमृत और धन-वैभव का स्रोत निकले।
- इसी मंथन से मां लक्ष्मी प्रकट हुईं, जिनके हाथों में धन, वैभव और समृद्धि का प्रतीक है।
- इसलिए उन्हें धन-वैभव की देवी और सम्पत्ति दायिनी माना जाता है।
2. माता लक्ष्मी की शादी
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माता लक्ष्मी की शादी भगवान विष्णु से हुई है।
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वे विष्णु जी की शक्ति और आभा मानी जाती हैं।
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लक्ष्मी जी की उपस्थिति भगवान विष्णु के साथ हमेशा रहती है और वे उनके कार्यों को सफलता प्रदान करती हैं।
3. माता लक्ष्मी के स्वरूप और नाम
मां लक्ष्मी के कई रूप और नाम हैं:
- श्रीलक्ष्मी – धन और वैभव की देवी
- भद्रलक्ष्मी – शुभता और कल्याण की देवी
- चंद्रलक्ष्मी – शांति और सौंदर्य की देवी
- कुबेरलक्ष्मी – खजाना और संपत्ति की देवी
- सर्वलक्ष्मी – सभी प्रकार की समृद्धि देने वाली
4. माता लक्ष्मी के बच्चे
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प्राचीन मान्यताओं के अनुसार माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु के कोई प्रत्यक्ष पुत्र नहीं हैं.
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लेकिन वैदिक कथाओं और पुराणों में उनका संपत्ति, वैभव और सिद्धि/ऋद्धि देना उनके “आध्यात्मिक पुत्र” माने जाते हैं.
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