भारत के साथ सीमा विवाद मुदा उठाने वाला नेपाल को चीन ने अपने जाल साजी में फंसा लिया है। कुछ सूत्रों के द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक, पिछले कुछ समय से नेपाल ने भारत के खिलाफ एक के बाद एक विरोधी कदम उठा रहा है. नेपाल के केपी शर्मा ओली सरकार ने चालबाजी को दबाने के लिये कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुर का मुद्दा उठाया था।
नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी ने इस मामले पर चुप्पी साध ली है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारत के खिलाफ नक्शा बदलने में लगे रहे और वही चीन ने धोखा देते हुए नेपाल के उत्तरी गोरखा के रुई गाव पर कब्जा कर लिया।
कुछ जानकारों ने बताया कि नेपाल सरकार भारतीय क्षेत्रो में अतिक्रमणके बारे में बात करमे में व्यस्त था। नेपाली अखबार के अनुसार रुई गाँव वर्ष 2017 से तिब्बत के स्वायत क्षेत्र का हिस्सा हो गया है। रुई गांव नेपाल के अभी भी मानचित्र में शामिल है, लेकिन अब वह पूरी तरह चीन के नियंत्रण में है।
नेपाल के भूराजस्व के अनुसार, रुई गांव के निवासी का राजस्व का रिकॉर्ड है। नेपाल के इतिहासकार प्रवक्ता रमेस धुगल का कहना है कि
“रुई गाँव नेपाल का हिस्सा है. नेपाल ने न तो किसी युद्ध मे खोया था न ही तिब्बत संबंधित किसी विशेष अनुबंध के अधीन है। नेपाल बॉर्डर के पीलर लगाने में हमने इसे खो दिया।”
नेपाल के ग्रामीण नगर पालिका वार्ड 1 के अध्यक्ष का कहना है कि
“भारत की सीमा में आना जाना बहुत आसान है। इसलिए भारत के सीमा मुद्दे दिखाई दे रहे हैं, लेकिन तिब्बत से सटे इलाके में नेपाल का हाल बहुत खराब है। चीन के साथ नेपाल बहुत बुरी तरीके से फंसता जा रहा है।”
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