Preethi Pal : पेरिस पैरालंपिक का दूसरा दिन भारत के लिए शानदार रहा. भारतीय एथलीट्स ने कुल चार पदक अपने नाम किए. इनमें एक स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य शामिल है. भारतीय खिलाड़ी प्रीति पाल (Preethi Pal) ने इस दौरान भारत के लिए पहला पदक हासिल कर इतिहास रच दिया. यह इन खेलों में ट्रैक इवेंट में पहला पदक है. प्रीति के लिए इस सफलता तक पहुंचना आसान नहीं था. उन्होंने छह साल पहले सोशल मीडिया पर पैरालंपिक गेम्स के वीडियो देखकर रेसिंग शुरू की थी. आज उनकी मेहनत रंग लाई है. भारत की प्रीति पाल ने शुक्रवार को यहां पैरालंपिक की महिलाओं की टी35 वर्ग की 100 मीटर की दौड़ में 14.21 से कांस्य पदक जीता.
पैरालंपिक में धावक Preethi Pal ने रचा इतिहास
23 साल की प्रीति (Preethi Pal) का कांस्य पदक पेरिस पैरालंपिक के पैरा एथलेटिक्स में भारत का पहला पदक है. इसके साथ ही चीन की झोउ जिया (13.58) ने स्वर्ण और गुओनकियान (13.74) ने रजत पदक जीता. टी35 उन खिलाड़ियों में शामिल हैं जिनमें हाइपरटोनिया, अटैक्सिया और एथेटोसिस और ब्रेन में लकवा आदि जैसे डिसऑर्डर शामिल होते हैं. उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में जन्मी प्रीति (Preethi Pal) किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं.
पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय
जन्म के छह दिन बाद उनके शरीर के एक भाग को प्लास्टर में बांधना पड़ा. पैर की स्थिति ख़राब और असामान्य होने के कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है. कई इलाज के बाद भी कुछ असर नहीं पड़ा था. प्रीति (Preethi Pal) को पांच साल की उम्र में कैलीपर पहनना पड़ा जिसका इस्तेमाल उन्होंने आठ सालों तक किया था. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रीती ने अपनी मजबूत ताकतों को आगे बढ़ाया लेकिन प्रीति ने यहां तक कि धैर्य और संघर्षों के साथ कभी हार नहीं मानी.
पैरालंपिक खिलाड़ी ने जीता कांस्य
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17 साल की उम्र में प्रीति का नजरिया तब बदला जब उन्होंने सोशल मीडिया पर पैरालंपिक गेम को देखा. इससे प्रीति (Preethi Pal) ने प्रेरित होकर कहा कि उन्होंने अपने सपने की ओर बढ़ने का निर्णय लिया. प्रीति ने फिर लगातार अभ्यास किया और आर्थिक तंगी से बचने के लिए उन्होंने अपने सपने को पूरा करने की जिद्द ठानी. हालाँकि, आर्थिक तंगी के कारण उन्हें आने-जाने में काफी संघर्ष करना पड़ा.
आर्थिक तंगी और शारीरिक परेशानी को बनाया ताकत
प्रीति (Preethi Pal) के जीवन में एक महत्वपूर्ण बदलाव तब आया जब उनकी मुलाकात पैरालंपिक एथलीट फातिमा खातून से हुई. वो फातिमा ही थी प्रीति को पैरा एथलेटिक्स से परिचित कराया. फातिमा के सपोर्ट से प्रीति ने 2018 में स्टेट पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिस्सा लिया. इसके अलावा उन्होंने कई राष्ट्रीय मंचों में भी भाग लिया. पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में इवेंट और कई नेशनल इवेंट में हिस्सा लिया. उन्हें (Preethi Pal) अपनी मेहनत का फल तब मिला जब उन्होंने एशियाई पैरा गेम्स 2022 में 100 मीटर और 200 मीटर स्प्रिंट में चौथा स्थान हासिल किया.
कई खेलों में रोशन कर चुकी देश का नाम
हालांकि एशियन पैरालंपिक खेलों में उनके कोई पदक नहीं मिला था. लेकिन इसके बावजूद प्रीति (Preethi Pal) ने जीत हासिल नहीं की और पैरालंपिक खेलों की तरफ पूरा ध्यान केंद्रित किया. दिल्ली में कोच गजेंद्र सिंह के साथ उन्होंने ट्रेनिंग की शुरुआत की और अपनी दौड़ की तकनीक में सुधार किया. उनके (Preethi Pal) संकल्प और परिश्रम ने उन्हें वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2024 के लिए चुना गया था. जहां उन्होंने 100 मीटर और 200 मीटर इवेंट में कांस्य पदक पर कब्जा किया.
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