Dharmpura Haweli

Dharmpura Haweli : देशभर में ऐसे तो कई हवेलियाँ है जो अपने आप में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। इसके साथ ही भारत कि राजधानी दिल्ली में भी कईं पुरानी हवेलियाँ हैं जो खुद में विशेष महत्व रखती है। दिल्ली में सैकड़ों हवेलियाँ हैं जो शानदार हैं और पुरातन महत्व रखती है। ऐसे में चांदनी चौक में बनी 200 साल पुरानी एक हवेली काफी चर्चा में है।

इस हवेली (Dharmpura Haweli) का नया रूप लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। पुरानी दिल्ली की संकरी गलियों के बीच इस हवेली की काफी चर्चा हो रही है। देश-विदेश से लोग यहां पहुंच रहे हैं। देखें क्या है इस हवेली में खास।

दिल्ली में Dharmpura Haweli ने मोहा सबका दिल

Dharmpura Haweli

200 साल पुरानी हवेली का पिछले गुरुवार को उद्घाटन किया गया। पुरानी दिल्ली की संकरी गलियों के बीच बनी यह हवेली 19वीं सदी की याद दिलाती है। मुगल शैली में बनी यह हवेली इन दिनों काफी चर्चा में है। मुगल शैली में बनी इस विदेशी हवेली का उद्घाटन 9 मार्च को विदेश मंत्री एसएस जयशंकर ने किया था।

आपको बता दें कि पहले चौक में हजारों हवेलियां थीं, लेकिन अब बमुश्किल 100 ही बची हैं। पुरानी दिल्ली की एक मिट्टी की हवेली (Dharmpura Haweli) अपने मूल स्वरूप में लौटी तो दर्शन ने इसकी व्याख्या भी की है इस हवेली के जीर्णोद्धार का जिम्मा गोयल का है और वे इस हवेली के मालिक भी हैं।

200 साल पुराना इतिहास है Dharmpura Haweli का

Dharmpura Haweli

भाजपा नेता विजय गोयल ने इसे नई हालत में रेस्टोरेंट गिर से खरीदा था। राजनेताओं के अलावा विजय गोयल विरासत प्रेमी के रूप में भी जाने जाते हैं। हालांकि गोयल के इस हवेली के निरीक्षण को लेकर काफी विवाद हुआ था और आम आदमी पार्टी ने उन पर सरकारी सेवाएं और टैक्स छूट पाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने का आरोप भी लगाया था।

यूनेस्को से भी मिला है इसको अवार्ड

Dharmpura Haweli

पुरानी दिल्ली के दरीबा कलां स्थित करीब 200 साल पुरानी धरमपुरा हवेली (Dharmpura Haweli) के सौंदर्यीकरण का काम किया गया है। हवेली के सौंदर्यीकरण के लिए जोधपुर और मस्जिदों से पत्थर चुराए गए थे। शिल्प और कलाकृतियों के हाथों से बनी यह हवेली अपने पुराने स्वरूप में लौट आई है। हवेली से होटल बनी इस जगह को अब यूनेस्को ने भी चुना है और इसे अवार्ड भी दिया है।

धर्मपुरा हवेली में पूरा हुआ सौन्दर्यीकरण का काम

Dharmpura Haweli

 

विदेशी दिग्गजों को ध्यान में रखते हुए इस हवेली (Dharmpura Haweli) में सेलेब प्वाइंट भी बनाया गया है, जो दिग्गजों को काफी पसंद आ रहा है। हवेली के नए स्वरूप में बनने के बाद गोयल ने कहा कि पोर्टफोलियो मिलने के बाद भी उन्होंने स्मारक चौक की ऐतिहासिक विरासत का सौंदर्यीकरण किया है। अब सरकार को ऐतिहासिक स्मारकों और हवेलियों के अभिलेखों और जीर्णोद्धार के नियमों को सरल बनाना चाहिए।

प्रोफेसरों के अनुसार हवेली का जीर्णोद्धार किया गया है। बालकनियों से लेकर खंभों तक सभी को उसका मूल स्वरूप दिया गया है। उन्होंने कहा कि वह हवेली को उसके पुराने स्वरूप में लौटाना चाहते थे, वह इसके लिए राजस्थान से लेकर उत्तर प्रदेश के कई शहरों में सामान बेचा करते थे।

मुस्लिम और जैन समुदाय के लोगों के पास रहा इसका हक़

Dharmpura Haweli

प्रोफेसरों की सलाह के अनुसार हवेली (Dharmpura Haweli) का पुनर्निर्माण किया गया है। हवेली के इतिहास के अनुसार इसका मूल मालिक एक मुस्लिम परिवार था, लेकिन बाद में यहां जैन आबादी बढ़ गई, इसलिए यह हवेली एक जैन परिवार के पास ही रही। साथ ही इस क्षेत्र का नाम भी बदलकर धरमपुरा कर दिया गया।

अब इस हवेली (Dharmpura Haweli) में एक हेरिटेज बुटीक होटल शुरू हो गया है, जिसे नाजी चौक के मित्रों का ध्यान आकर्षित करके बनाया गया है। लखौरी सभाओं से बने हॉल को रेस्टोरेंट बना दिया गया है। मजहबी चौक की सारी पुरानी मोबिलिटी लखौरी संयोजन से बनी है। इतना ही नहीं रेस्टोरेंट का नाम भी सभाओं के नाम पर लखौरी रेस्टोरेंट रखा गया है।

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