Story Of Survival : तूफ़ान के कारण मछुआरे अक्सर समुद्र में फंस जाते हैं। ऐसे ही एक मछली पकड़ने वाले ट्रॉलर में सवार रवींद्रनाथ दास पांच दिनों तक समुद्र में फंसे रहे और बंगाल की खाड़ी में बिना भोजन और लाइफ जैकेट के एक बांस के डंडे का सहारा लेकर जीवित (Story Of Survival) रहे।
तूफ़ान की चेतावनी के बावजूद 4 जुलाई को बंगाल की खाड़ी में गहरे समुद्र में लापता हुए 31 मछुआरों में से एक मछुआरा दास बुधवार को मिले।
बीच समुद्र में बिना खाए-पिये पांच दिन रहे दास
मछुआरों के संगठन और राज्य मंत्री मंटूराम पाखिरा ने गुरुवार को यह जानकारी दी। हालाँकि, 24 मछुआरे अभी भी लापता हैं। पश्चिम बंगाल यूनाइटेड फिशरमेन एसोसिएशन के सचिव बिजोन मैती ने बताया कि लापता 24 मछुआरे काकद्वीप के निवासी है।
वहीं जो दास चमत्कारी रूप से मिले (Story Of Survival) है वह परगना जिले के काकद्वीप स्थित नारायणपुर के निवासी हैं। वह एफबी नयन-I नामक एक ट्रॉलर के मालिक हैं।
बीच समुद्र में कैसे खुद को बचा पाए रविन्द्र?
रवींद्र ने बताया कि वह 4 जुलाई को अपने 14 साथियों के साथ मछली पकड़ने समुद्र में गए थे। 6 जुलाई को तेज़ तूफ़ान के कारण नाव अचानक पलट गई और डूब गई। सभी साथी समुद्र में कूद गए। नाव डूबने से उनमें से तीन की मौत हो गई। जब उनका ट्रॉलर समुद्र में डूब गया तो तीन मछुआरे उसमें फंस गए।
वहीं दास और 11 अन्य समुद्र में कूद गए। उन्होंने ईंधन के ड्रम उतारकर उन्हें बांस के डंडों और रस्सियों से बांध दिया और खुद को बचाया (Story Of Survival) था।
बांग्लादेशी लोगों ने मदद कर बचाया
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रविंद्र ने बताया कि मुझे लगता था कि मैं जल्द ही मर जाऊंगा, लेकिन फिर जीने (Story Of Survival) की चाहत ने मुझे हिम्मत दी। रवींद्र ने आगे बताया कि मुझे अपने भतीजे को ना बचा पाने का अफ़सोस रहेगा। बचाए जाने से कुछ घंटे पहले ही उसकी डूबकर मौत हो गई थी। हम दोनों साथ तैरे थे।
इस दौरान वह बहुत डरा हुआ था। मैंने उसे तीन दिन तक अपने कंधे पर रखा। 10 जुलाई को चटगाँव के पास मुझे एक बांग्लादेशी जहाज़ दिखाई दिया। मुझे उम्मीद जगी। दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद मैं उस तक पहुंच पाया। फिर मुझे मदद मिली।
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