Rajveer: एक गलती किसी इंसान को कितनी भारी पड़ सकती है, इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है. यूपी के मैनपुरी में पुलिस की एक गलती न सिर्फ़ राजवीर को महंगी पड़ी, बल्कि उसके 17 साल भी बर्बाद हो गए. आपको यह जानकर हैरानी हो रही होगी, लेकिन यह सच है. अगर आप पूरा मामला पढ़ेंगे, तो दंग रह जाएँगे। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला?
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, ये पूरा मामला मैनपुर के नगला भांट गांव का है. वर्ष 2008 में शहर कोतवाली के तत्कालीन इंस्पेक्टर ओमप्रकाश ने नगला भांट निवासी मनोज यादव, प्रवेश यादव, भोला और राजवीर (Rajveer) के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. इतना ही नहीं, विवेचना की जिम्मेदारी दन्नाहार थाने को दी गई. विवेचना करने वाले तत्कालीन एसआई शिवसागर दीक्षित ने 1 दिसंबर 2008 को राजवीर को गैंगस्टर एक्ट के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
विवेचना में पता चला कि राजवीर सिंह यादव का आपराधिक इतिहास रहा है. राजवीर के खिलाफ तीन मुकदमे दर्ज हैं. असल में ये मुकदमे राजवीर के भाई रामवीर के खिलाफ दर्ज थे. पुलिस की एक गलती की वजह से ये मुकदमे राजवीर पर थोप दिए गए.
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Rajveer को गिरफ्तार कर भेजा जेल
🚨मैनपुरी : एक अक्षर की गलती से 22 दिन की जेल🚨
🆔 17 साल खुद को निर्दोष साबित करने में लगे
🕵️♂️ पुलिस ने राजवीर की जगह राजबीर लिखा था
📍 पीड़ित को कोर्ट ने उसे बाइज्जत बरी किया
📍 कोर्ट ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ दिया आदेश
📍 एसपी को सभी के खिलाफ कार्रवाई के आदेश
📍 शहर… pic.twitter.com/jsal6xgpZy— भारत समाचार | Bharat Samachar (@bstvlive) July 25, 2025
हद तो तब हो गई जब मामले की विवेचना कर रहे एसआई शिवसागर दीक्षित ने राजवीर सिंह यादव को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. राजवीर 22 दिन जेल में रहा। इसके बाद 17 साल तक अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए अदालतों के चक्कर लगाता रहा. इसके बाद राजवीर (Rajveer) ने गैंगस्टर कोर्ट में अपील की.
जाँच में पता चला कि जिस अपराध में राजवीर को जेल भेजा गया था, वह उसके भाई रामवीर ने किया था और राजवीर ने सज़ा काट ली. इतना ही नहीं, तत्कालीन इंस्पेक्टर ओम प्रकाश ने भी अदालत में स्वीकार किया कि नाम दर्ज करने में उनसे बड़ी गलती हुई थी.
अदालत ने कर दिया बरी
तत्कालीन इंस्पेक्टर ओम प्रकाश ने अदालत को बताया कि एफआईआर में रामवीर का नाम दर्ज होना था, लेकिन रामवीर की जगह राजवीर का नाम दर्ज हो गया, जो अपराधी का भाई था. पुलिस ने चार्जशीट में गलती नहीं सुधारी और राजवीर (Rajveer) को ही आरोपी बनाकर मामला अदालत में भेज दिया.
17 साल की कानूनी लड़ाई के बाद, राजवीर को अदालत ने बरी कर दिया। साथ ही, अदालत ने पुलिस की घोर लापरवाही उजागर करने के लिए उसे फटकार भी लगाई।
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