Deepak Rawat : कहते हैं कि कड़ी मेहनत और लगन से आप कोई भी ऊंचाई हासिल कर सकते है। लेकिन आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्र होना होगा। सफलता के लिए कड़ी मेहनत बहुत जरूरी है और इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं हो सकता। यूपीएससी जैसी परीक्षा पास करने वाले छात्र अपनी अलग पहचान बनाते हैं। यह एक ऐसा पद है जो सीधे जनता से जुड़ा होता है।
आईएएस अधिकारी के तौर पर सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान कर जनता के बीच अपनी छाप छोड़ने वाले अधिकारी लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत होते हैं। ऐसा ही कुछ उत्तराखंड के एक शख्स (Deepak Rawat) ने कर दिखाया है।
दीपक रावत की आईएएस बनने की कहानी है दिलचस्प
आईएएस अधिकारी दीपक रावत (Deepak Rawat) अपने काम को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। वह अपने ट्विटर अकाउंट पर भी काफी एक्टिव रहते हैं। सोशल मीडिया पर उनके हजारों फैन फॉलोइंग हैं। इतना ही नहीं यूट्यूब पर भी फील्ड विजिटिंग के चर्चे रहते हैं। उत्तराखंड कैडर के आईएएस अधिकारी दीपक रावत के यूट्यूब पर उनके 43 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं।
दीपक रावत (Deepak Rawat) का यूपीएससी पास कर आईएएस बनने का सफर कई लोगों के लिए काफी प्रेरणादायी है। वह कभी कबाड़ विक्रेता बनना चाहते थे। लेकिन फिर वह कैसे एक तेजतर्रार आईएएस बने, आइए जानते हैं।
आज युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं Deepak Rawat
आईएएस दीपक रावत (Deepak Rawat) उत्तराखंड के उसी मसूरी शहर में पले-बढ़े हैं। जहां पहुंचने का सपना हर यूपीएससी उम्मीदवार देखता है। 24 सितंबर 1977 को जन्मे दीपक रावत ने अपनी स्कूली शिक्षा मसूरी के सेंट जॉर्ज कॉलेज से की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बीए और जेएनयू से इतिहास में एमए किया। उन्होंने जेएनयू से प्राचीन इतिहास में एमफिल भी किया है। दीपक रावत (Deepak Rawat) को बचपन में पुरानी घड़ियां, खाली पॉलिश के डिब्बे और इस्तेमाल किए गए टूथब्रश इकट्ठा करने का अनोखा शौक था।
कभी कबाड़ीवाले का काम करने में रखते थे रूचि
दीपक (Deepak Rawat) ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह बचपन में कबाड़ का सौदागर बनना चाहते थे। आईएएस दीपक रावत को बचपन में पुरानी घड़ियां, खाली पॉलिश के डिब्बे और इस्तेमाल किए गए टूथब्रश इकट्ठा करने का शौक था। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था की बचपन में वह ‘कबाड़ का सौदागर’ बनना चाहते थे। इतना ही नहीं, उन्हें बचपन में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स में भी काफी दिलचस्पी थी। इसी चक्कर में एक बार उनके पिता ने उनसे मसूरी की एक इलेक्ट्रॉनिक दुकान में नौकरी की बात भी की थी।
दीपक रावत ने साइंस स्ट्रीम से की पढ़ाई
दीपक रावत (Deepak Rawat) जब सीनियर सेकेंडरी में थे, तब उनके ज्यादातर सहपाठी सेना में जाना चाहते थे या इंजीनियर बनना चाहते थे। लेकिन वह खुद को दोनों के लिए अयोग्य मानते थे। 12वीं में दीपक साइंस की जगह आर्ट्स लेना चाहते थे, लेकिन माता-पिता के दबाव में उन्हें साइंस स्ट्रीम से पढ़ाई करनी पड़ी। दिल्ली में कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही दीपक रावत (Deepak Rawat) ने अपने बैचमेट्स के साथ यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। फिर उन्होंने पत्रकारिता को बैकअप करियर ऑप्शन के तौर पर रखा।
8000 रुपये महीने की सैलरी पर किया काम
दीपक (Deepak Rawat) जब 24 साल के थे, तब उनके पिता ने उनकी पॉकेट मनी बंद कर दी। फिर जेआरएफ परीक्षा में सफल होने के बाद उन्होंने 8000 रुपये महीने की सैलरी पर अपनी पहली नौकरी शुरू की। मसूरी में दीपक रावत के पड़ोस में आईपीएस अनिल कुमार रतूड़ी रहते थे। उन्हीं से दीपक को यूपीएससी परीक्षा के बारे में पता चला।
काम करने के साथ ही उन्होंने (Deepak Rawat) UPSC के परीक्षा कि तैयारी भी शुरू कर दी थी। हालांकि, पहले दो प्रयासों में असफल होने के बाद उन्होंने तीसरे प्रयास में सफलता हासिल की। अब वह उत्तराखंड के हरिद्वार में जिला मजिस्ट्रेट के पद पर कार्यरत हैं।
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