China: आज की दुनिया लगातार तनाव और संघर्ष के दौर से गुज़र रही है। एक तरफ़ रूस-यूक्रेन युद्ध ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है, वहीं दूसरी तरफ़ इसराइल और ईरान के बीच हालात तेज़ी से बिगड़ रहे हैं. मौजूदा दुनिया कई मोर्चों पर युद्ध जैसे हालात का सामना कर रही है।
कई देश अपने पड़ोसी देशों पर कब्ज़ा करने की कोशिश कर रहे हैं, जैसे पाकिस्तान कश्मीर पर कब्ज़ा करना चाहता है, चीन (China) पूरे बिहार पर कब्ज़ा करना चाहता है। तो चलिए आगे जानते हैं कि पूरी राजनीति क्या है।
बिहार को हड़पना चाहता China
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हाल ही में एक इंटरव्यू में, चीनी (China) राजनयिक और टिप्पणीकार गाओ झिकाई ने दावा किया कि “यदि भारत ब्रिटिश काल की मैकमोहन रेखा पर जोर देता है, तो चीन भी अपनी सीमा पर जोर दे सकता है – तथाकथित “गाओ झिकाई रेखा”, जो गंगा नदी तक फैली हुई है. यह काल्पनिक रेखा उत्तराखंड, उत्तर बंगाल, असम और यहां तक कि बिहार सहित भारतीय क्षेत्र से होकर गुजरती है, जिससे यह संकेत मिलता है कि चीन संपूर्ण गंगा बेसिन को अपनी दक्षिणी सीमा के रूप में दावा कर सकता है.”
हालांकि उनका बयान आधिकारिक नीति नहीं है, लेकिन यह बढ़ती चीनी राष्ट्रवादी बयानबाजी को दर्शाता है और इस बात पर चिंता पैदा करता है कि इस तरह की क्षेत्रीय कल्पनाएं कितनी दूर तक जा सकती हैं।
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China का मुख्य टारगेट
बता दें की 1962 में भारत और चीन (China) के बीच युद्ध हुआ, जिसमें मैकमोहन रेखा मुख्य लक्ष्य थी. चीन ने इस रेखा को “ब्रिटिश आक्रमण का परिणाम” बताया और इसे अवैध बताया गया था. मैकमोहन रेखा, जो भारत और चीन के बीच प्रभावी सीमा है, 1914 में ब्रिटिश सरकार और तिब्बत के बीच शिमला समझौते के तहत स्थापित की गई थी. यह रेखा हिमालय की चोटी के साथ-साथ चलती है, जो भूटान की पूर्वी सीमा से शुरू होकर ब्रह्मपुत्र नदी के उस महान मोड़ तक पहुँचती है, जहाँ नदी अपने तिब्बती मार्ग को छोड़कर असम घाटी में प्रवेश करती है।
भारत की इन जगहों पर कब्जा
चीन (China) और पाकिस्तान के साथ भारत का दशकों पुराना विवाद है। भारत ने कई बार खुले मंचों पर कहा और स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान और चीन द्वारा कब्जाया गया कोई भी क्षेत्र भारत का अभिन्न अंग है. संसद ने 1994 में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया कि पीओके भारत का हिस्सा है और भारत इसे वापस लेना चाहता है। भारत अक्साई चिन और शक्सगाम घाटी पर भी अपना दावा करता है।
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