A Woman Had Come To Bihar For An Operation, Doctors Stole Both Her Kidneys
A woman had come to Bihar for an operation, doctors stole both her kidneys

Doctor’s: आजकल लोगों में इंसानियत ही नहीं बची है. पैसों के लिए इंसान इस हद तक गिर गया है कि किसी की भी जान ले सकता है. रिश्तेदारों से लेकर इंसाफ की जगहों तक, सिर्फ़ हैवानियत ही दिखाई देती है. जहाँ लोग भगवान के बाद दूसरा भगवान डॉक्टरों को मानते थे, वहाँ भी सिर्फ़ नीचता दिखा रहे हैं. तो चलिए आगे जानते हैं कि इस मामले ने इंसानियत को कितना शर्मसार कर दिया है? जहां बिहार की एक महिला ऑपरेशन के लिए डॉक्टर के पास गई, लेकिन उसी डॉक्टर (Doctor’s) ने उसकी किडनी चुरा ली.

मानवता को किया शर्मसार

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है. 35 साल की सुनीता देवी अपनी मां तेतरी देवी के साथ बरियारपुर स्थित शुभकांत क्लिनिक में इलाज कराने गई थीं. सुनीता देवी के गर्भाशय में समस्या थी, इसलिए वह ऑपरेशन कराने वहां गई थीं. वहां खुद को डॉक्टर (Doctor’s) बताने वाले पवन कुमार और रविंद्र कुमार उर्फ आरके सिंह ने ऑपरेशन ज़रूरी बताया और इसके लिए 20 हज़ार रुपये मांगे। सुनीता और उसके परिवार ने किसी तरह पैसों का इंतज़ाम किया और ऑपरेशन करवाया।

Doctor ने चुरा ली दोनों किडनी

 Doctor Removed Both Kidneys During Uterus Surgery Muzaffarpur Sunita Died Without Kidney
Doctor Removed Both Kidneys During Uterus Surgery Muzaffarpur Sunita Died Without Kidney

ऑपरेशन के बाद सुनीता की तबीयत बिगड़ती गई और उसे पेशाब आना बंद हो गया। जब उसकी जाँच हुई तो सब हैरान रह गए क्योंकि उसकी दोनों किडनियाँ गायब थीं। एक ऐसे ऑपरेशन में जिसमें सिर्फ़ गर्भाशय निकालना था, उसकी किडनियाँ निकाल दी गईं. सुनीता की हालत बिगड़ने पर परिजन उसे दूसरे अस्पताल ले गए, जहाँ डॉक्टर (Doctor’s) ने उनसे 40,000 रुपये वसूले गए। यानी इलाज के नाम पर कुल 60,000 रुपये ठगे गए और आखिरकार 21 अक्टूबर 2024 को सुनीता देवी की मौत हो गई।

आरोपी को मिली सजा

इस मामले में डॉ. आरके सिंह मुख्य आरोपी हैं, जो घटना के बाद से ही फरार हैं. पुलिस ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया और कोर्ट के आदेश पर उनके घर की कुर्की भी की, लेकिन अब तक वह पुलिस की पकड़ से बाहर हैं. जबकि डॉ. पवन कुमार को दोषी करार देते हुए 7 साल की सजा सुनाई गई है. सुनीता के मामले ने स्वास्थ्य प्रणाली की खामियों को उजागर किया है, जहां झोलाछाप डॉक्टर (Doctor’s) और अवैध क्लीनिकों की भरमार है, जिससे लोगों को अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है.

मुजफ्फरपुर के सकरा थाने में एफआईआर दर्ज होने के बाद यह मामला शुरू हुआ। मामले में आईपीसी और मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 के तहत धाराएं लगाई गईं। इसके बाद ईडी ने इस मामले की जांच शुरू की।

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