American air tankers: इजरायल और ईरान के बीच चल रहे युद्ध के बीच अमेरिकी वायुसेना ने हवा में ईंधन भरने वाले टैंकर (American air tankers) विमानों की अब तक की सबसे बड़ी तैनाती शुरू कर दी है. इन विमानों को अटलांटिक महासागर के पार स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकानों से यूरोप भेजा जा रहा है. उड़ान ट्रैकिंग डेटा के अनुसार, रविवार देर शाम तक कम से कम 24 KC-135 और KC-46 टैंकर विमानों को पूर्व की ओर भेजा जा चुका था, तथा यह संख्या बढ़ रही थी।
अमेरिका ने तैनाती का उद्देश्य स्पष्ट नहीं किया
Atleast 22 stratotankers leave American heading for #Israel and #iran.
This is an unprecedented logical feet – anyone questioning America’s loyalties? pic.twitter.com/hTR1prRomC
— 🕊️The Tembrulated Truth 🕊️ (@tembrulation) June 16, 2025
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) ने अभी तक इस तैनाती के उद्देश्य के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. ऐसी स्थिति में आवश्यक रसद और सहायता विमानों की त्वरित तैनाती के लिए नाटो के सहयोगी देशों के बीच आपसी समन्वय की व्यवस्था पहले से ही मौजूद है.इससे पहले भी सीरिया और इराक में संघर्ष के दौरान अमेरिका ने इसी तरह के टैंकर विमानों (American air tankers) की मदद से अपने सहयोगियों के लिए हवाई अभियानों में सहयोग दिया था।
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अभियान की तैयारी में अमेरिका!
पूर्व की ओर टैंकर विमानों की बड़ी तैनाती इस बात का स्पष्ट संकेत है कि अमेरिकी सेना एक दीर्घकालिक अभियान के लिए तैयारी कर रही है, खासकर यदि मध्य पूर्व में तनाव बढ़ता है या नाटो समर्थन की आवश्यकता होती है. यह कहना मुश्किल है कि यह तैनाती सिर्फ एहतियात के तौर पर की जा रही है या इसके पीछे कोई बड़ा सैन्य अभियान छिपा है।.
टैंकर विमानों का इस्तेमाल
अमेरिकी की इन टैंकर विमानों (American air tankers) का उपयोग उन लड़ाकू विमानों को हवा में ही ईंधन भरने के लिए किया जाता है, जो अपने देश से दूर हमले करते हैं, जैसे कि वर्तमान में ईरान पर हमला कर रहे इजरायली लड़ाकू विमान, जिन्हें लंबी उड़ानों के दौरान हवा में ही कई बार ईंधन भरने की आवश्यकता होती है.
ईरान और इजरायल के बीच चल रहे टकराव के बीच यह बड़ी तैनाती देखी जा रही है। दोनों देशों के बीच मिसाइल और ड्रोन हमले जारी हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक इजरायली वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने लंबी दूरी से ईरानी सैन्य ठिकानों पर सटीक हमले किए हैं.ऐसे ऑपरेशनों के लिए विमानों को हवा में ही ईंधन भरने की आवश्यकता होती है, जिससे उनकी सीमा बढ़ जाती है।