Duryodhan temple: महाभारत की महा कथा भारत के पौराणिक इतिहास की अतुल्नीय धरोहर है। इस कथा से जुड़े कई पात्र आज भी लोगों के लिए एक सीख की तरह हैं, तो कई पात्रों को सदियों से पूजा जा रहा है। इस कथा के अनुसार 18 दिनों तक चले भीषण युद्ध में पांडवों ने कौरवों के सबसे बड़े भाई दुर्योधन को सबसे आखिर में मारकर विजय प्राप्त की थी। लेकिन क्या हो अगर हम कहें की दुर्योधन मरा नहीं है और वो आज भी जिंदा है। बेशक ही आप इस बात पर विश्वास ना करें लेकिन सच तो यही है कि दुर्योधन सिर्फ जिंदा ही नहीं बल्कि वो भारत सरकार को करोड़ों का टैक्स भी देता है। क्या है दुर्योधन (Duryodhan temple) के जिंदा होने का रहस्य आइए जानते हैं।
आज भी जिंदा है दुर्योधन

देश के कई कोनों में आपको पांडवों से जुड़े मंदिर मिल जाएंगे, जैसे हिमाचल में भीम की राक्षसी पत्नी हिडिंबा का मंदिर, तमिलनाडु का मामल्लपुरम मंदिर और ऐसे ही कई अनेक मंदिर हैं। लेकिन आपको जानकारी हैरानी इस बात से होगी की भारत में एक मंदिर महाभारत के सबसे बड़े खलनायक दुर्योधन (Duryodhan temple) का भी है। जी हां, केरल के एक गांव में दुर्योधन को एक देवता की तरह पूजा जाता है। पेरिविरुथी मलानाडा के नाम से मशहूर ये मंदिर केरल के कोल्लम जिले से कुछ ही दूरी पर स्थित कुरब समुदाय के एक गांव में है। कुरब समुदाय के लोग मानते हैं कि सतयुग से ही दुर्योधन उनके गांव की रक्षा कर रहा है। और गांव के एक प्रहरी के रूप में यहां पर विराजमान है। गांव के लोग प्यार से दुर्योधन को दादा कहते हैं।
क्या है इसके पीछे की कहानी

दुर्योधन (Duryodhan temple) की पूजा और उसके मंदिर के पीछे मान्यता ये है कि पांडवों के अज्ञातवास के समय दुर्योधन पांडवों को खोजते खोजते एक पहाड़ी पर पहुंच गया। लंबे सफर और हाथ लगी असफलता के कारण दुर्योधन काफी थक चुका था और उसे प्यास भी लगी थी। लेकिन उसके पास पानी नहीं था, तभी वहां पर कुरब समाज की एक महिला पहुंच गई और उसने दुर्योधन को पानी पिलाकर उसकी प्यास बुझा दी। महिला की इस दयालुता से प्रसन्न होकर दुर्योधन ने उसे एक गांव उपहार के रूप में दे दिया और अब दुर्योधन का ये मंदिर इसी गांव में स्थित है और लोग दुर्योधन को एक दयालु और सरल स्वभाव वाले देवता के रूप में पूजते हैं।
करोड़ों का टैक्स देता है दुर्योधन

कोल्लम जिले में नई तैनाती पर आया एक अधिकारी टैक्स के कुछ पेपर देख हैरत में पड़ गया, और वजह थी टैक्सपेयर का नाम। दरअसल कागजों में जो नाम था वो था दुर्योधन। कागजों के मुताबिक कई सौ सालों से दुर्य़ोधन सरकार को टैक्स जमा कर रहा था। अधिकारी ने जब इस मामले में लोकल लोगों से जानकारी ली तो उसे बताया गया कि कुरब समाज के लोगों के लिए दुर्योधन एक देवता के रूप में हैं और सालों दर सालों से उनके भक्त दुर्योधन के नाम से ही टैक्स देते हैं। दरअसल जिस जगह पर दुर्योधन का मंदिर (Duryodhan temple) बनाया गया है उस मंदिर और उसके आसपास की जमीन दुर्योधन की थी और गांव वाले हर साल उसी जगह का करोडो़ं का टैक्स सरकार को चुकाते हैं।
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