Farmer'S Son Sanjay Chauhan Completed His Mbbs Degree, Now He Is Making People Healthy
Sanjay Chauhan : कहते हैं मेहनत करो तो सफलता आपके कदम अवश्य चूमेगी. इसके साथ ही माता-पिता भी अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए किसी भी हद तक जा सकते है. वों दिन रात यहीं सोचते है कि वो ऐसा क्या करें की उसके बच्चे को कोई तकलीफ ना हों. पेरेंट्स अपने बच्चों के लिए अपने सारे सपने भूल कर उन्हें एक भरपूर जिंदगी देने में लगे रहते है.
आज हम बात करने वालें है एक ऐसे माता-पिता कि जिन्होंने ना धुप देखी ना सर्दी बस दिन-रात खेती कि और बच्चे को पढ़ाने में कोई कसार नहीं छोड़ी. तो वहीं बेटे ने भी दिन-रात एक करके मेहनत कर अपने माता-पिता का ना रोशन किया. आइए जानते है उस बेटे संजय सिंह (Sanjay Chauhan)  के साथ उसके माता-पिता की संघर्ष भरी सच्ची कहानी को.

किसान माता-पिता ने बनाया अपने बेटे को डॉक्टर

Sanjay Chauhan
हम बात कर रहे हैं एमपी के जबलपुर में स्थित आलीराजपुर के पास बसे छोटे से गांव पिप्प्लिया की. जहां पर कमल सिंह नाम का एक किसान रहता है. उसके बेटे संजय चौहान (Sanjay Chauhan) ने डॉक्टर बनने का सपना देखा था. लेकिन अभाव भरी जिन्दगी में इतने बड़े सपने देखना और उन्हें पूरा करना हर किसी के लिए संभव नहीं होता हैं. लेकिन संजय ने कड़ी मेहनत करके इस सपने को सच कर दिखाया है.
जी-तोड़ मेहनत करके उन्होंने अपनी एमबीबीएस कि डिग्री को भी पूरा कर लिया है. संजय (Sanjay Chauhan) ने पिछले साल ही अपनी मां को खोया था लेकिन उन्होंने निराशा को हावी नहीं होने दिया और अपना कार्य लगातार जारी रखा.

संजय ने कड़े संघर्षों के बाद पूरी की पढ़ाई

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गुरुवार को अंतिम चरण की डिग्री पूरी करने के लिए आयोजित शपथ ग्रहण समारोह के दौरान संजय (Sanjay Chauhan) के साथ उनके पिता कलम सिंह चौहान भी गए थे. साधारण पोशाक पहने कमल सिंह गले में सफेद गमछा, हॉफ शर्ट और एक पुराना हॉफ पैंट पहने थे. लेकिन फिर भी कमल सिंह का सिर गौरव से ऊंचा उठा रहा. बेटे ने जैसे ही अपनी डिग्री दी, उन्हें समर्पित करते हुए थमाई तो उनकी आँखों से आंसू छलक आए. बता दें कमल सिंह 2018 में नीट परीक्षा को पास कर एमबीबीएस कि डिग्री के ली जबलपुर मेडिकल कॉलेज गए थे.

पिता कमल सिंह के साथ पहुंचें दीक्षांत समोराह में

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डिग्री प्राप्त करने के बाद संजय (Sanjay Chauhan) ने कहा कि उनका सपना जो था वो पूरा हो चुका है. वो गांव में रहकर ही वहां के लोगों कि पीढ़ा हरना चाहते हैं. उन्हें ही इलाज देना चाहते हैं. वह चाहते है कि जो व्यक्ति गरीब है और अपना इलाज नहीं करा सकता है उसे वह इलाज दिलाने कि पूरी कोशिश करेंगे. वह समाज सेवा में अपना हाथ बटाना चाहते हैं.
संजय चौहान (Sanjay Chauhan) ने आगे कहा कि माता-पिता ने जो सपना देखा था वो आज पूरा हो चुका है. पिताजी खुश है लेकिन मां साथ नहीं है तो मन थोड़ा दुखी है. अगर वह भी मौजूद होती तो ह ख़ुशी और दुगनी हो जाती. लेकिन मुझे उनका सपना पूरा करने पर बहुत ख़ुशी हो रही है.

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