Genu Das

Genu Das : प्यार में इतनी ताकत होती है कि इसके वशीभूत होकर इंसान कुछ भी कर सकता है। लेकिन कोई अपनी पत्नी से इतना प्यार करने लगे कि उसके नाम पर पेड़ लगाने लगे। ऐसा उदाहरण शायद ही कहीं देखने को मिले। लेकिन आज हम आपको ऐसी ही कुछ कहानी बताने जा रहे हैं जिससे आप भी अचंभित होने वाले हैं। उत्तरी दिल्ली के गोपालपुर निवासी गेनू दास (Genu Das) की कहानी कुछ ऐसी ही है। वह अपनी पत्नी के प्यार में धरती पर हरियाली फैला रहे हैं। ऐसी मिसाल शायद ही कहीं मिले।

दिल्ली के गेनू दास अभी तक लगा चुके हैं 300 पेड़

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उत्तरी दिल्ली के गोपालपुर निवासी गेनू दास (Genu Das) की कहानी कुछ ऐसी ही है। वह अपनी पत्नी के प्यार में धरती पर हरियाली फैला रहे हैं। उन्होंने दिल्ली में 300 से ज्यादा पेड़ लगाए हैं। गेनू दास रिक्शा चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। उन्हें मुखर्जी नगर में सिग्नेचर अपार्टमेंट के पास फुटपाथ पर लगे एक पेड़ पर पानी देते भी देखा जाता है। उन्होंने गोपालपुर, नेहरू विहार, मुखर्जी नगर, गांधी विहार में करीब 300 पेड़ लगाए हैं। पत्नी के प्यार में पेड़ लगा रहे हैं। अब वह खुद अपनी पत्नी की देखभाल करते हैं और खाना बनाकर खिलाते हैं। गेनू दास के तीन बच्चे हैं, उनका एक बेटा शादीशुदा है और अब उनसे अलग रहता है।

रिक्शा चलाकर भरते हैं अपने परिवार का पेट

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गेनू (Genu Das) बताते हैं कि उन्होंने लोगों से सुना है कि पेड़ लगाना पुण्य का काम है। इसलिए वह अपनी पत्नी के प्यार में पेड़ लगाते हैं। वह बताते हैं कि हमें इस इलाके में रिक्शा चलाना पड़ता है, इसलिए हम अपने रिक्शा में पानी की बोतल रखते हैं। हम जिस भी पौधे के पास जाते हैं, उसमें बोतल से पानी डालते हैं। वह ऐसा तब भी करते हैं, जब रिक्शा में कोई यात्री बैठा हो।

वह बताते हैं कि जब तक वह पौधों में पानी नहीं डालते, तब तक ऐसा लगता है जैसे उनका कोई बच्चा प्यासा हो। जब गेनू (Genu Das) घर जाकर अपनी पत्नी को उनके नाम पर लगाए गए पेड़ों की प्रगति के बारे में बताते हैं, तो वह बहुत खुश होती हैं।

गेनू की पत्नी हुई दृष्टिबाधित

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एक वेबसाइट पर दिए गए इंटरव्यू के आधार पर पता चला कि गेनू दास (Genu Das) अब तक 300 से ज्यादा पेड़ लगा चुके हैं। उन्होंने गोपालपुर, नेहरू विहार, मुखर्जी नगर, गांधी विहार में करीब 300 पेड़ लगाए हैं। पेड़ लगाने की वजह बेहद खास है। दरअसल, उन्हें पेड़ लगाने की प्रेरणा अपनी पत्नी से मिली। गेनू की पत्नी गर्भावस्था के दौरान आई जटिलताओं के कारण दृष्टिबाधित हो गई थी। तब दोनों ने सोचा कि अगर बच्चे नहीं भी हुए तो क्या हुआ, पेड़-पौधों की देखभाल बच्चों की तरह करनी चाहिए। गेनू (Genu Das) को यह विचार पसंद आया और अब वह अपनी दृष्टिबाधित पत्नी की देखभाल खुद करते हैं। खुद भी पेड़ लगाते हैं।

दृष्टिबाधित पत्नी के नाम पर लगाते हैं पेड़

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गेनू (Genu Das) कहते हैं कि पेड़ लगाना पुण्य का काम है, इसीलिए वह अपनी पत्नी के नाम पर पेड़ लगाते हैं और उनकी देखभाल भी करते हैं। गेनू रोजाना अपने रिक्शे में पानी की बोतल लेकर चलते हैं। जिस भी पौधे के पास से गुजरते हैं, उसमें बोतल से पानी जरूर डालते हैं। अगर रिक्शे में कोई यात्री भी बैठा हो तो भी वह अपना काम करते हैं। उनका कहना है कि जब तक वह पौधों को पानी नहीं देते, उन्हें ऐसा लगता है जैसे उनका कोई बच्चा उनकी प्यास बुझा रहा हो। गेनू (Genu Das) भले ही रिक्शा चालक हैं, लेकिन उनका काम किसी पढ़े-लिखे परिपक्व व्यक्ति से बेहतर है।

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