Mehsana : गुजरात के अहमदाबाद से लगभग 50 किलोमीटर आगे मेहसाणा एक शहर है. दशकों से यह कृषि जिला पूरे भारत में ज्वार, सरसों, कपास, सौंफ, जीरा आदि विभिन्न प्रकार की वस्तुओं की आपूर्ति कर रहा है. लेकिन हाल ही में जिस किसी एक चीज ने वैश्विक स्तर पर इसका ध्यान खींचा, वह मेहसाणा (Mehsana) का आलू है. इतना ही नहीं मेहसाणा को अब “भारत की आलू राजधानी” कहा जाता है. वॉलमार्ट, केएफसी, टैको बेल, सबवे, मैकडोनाल्ड्स, बर्गर किंग, पिज्जा हट, डोमिनोज पिज्जा, लुलु ग्रुप, द पिज्जा कंपनी, टेस्को जैसी कंपनी यहीं से आलू का कारोबार करती है.
गुजरात का Mehsan बना आलू की राजधानी
वैश्विक क्षेत्र से लेकर आईटीसी, गोदरेज जैसी भारतीय निर्माता सभी फ्रेंच फ्रिज, पैटीज, हैश ब्राउन, चीज़ पॉपर्स और आलू फ्लेक्स जैसे विभिन्न आलू की बिक्री के लिए मेहसाणा का रुख कर रही हैं. दुनिया भर के आलू प्रेमी चाहे अमेरिका हो, जापान हो, यूरोप हो, मध्य पूर्व हो, दक्षिण पूर्व एशिया हो सभी मेहसाणा से जाने वाले आलू के विशेष व्यंजन का मजा उठा रहे हैं. और मेहसाणा (Mehsana) में एक ऐसी कंपनी जिसने दुनिया भर के दिग्गजों को भारत को आलू के विशेष चिप्स का शुद्ध उत्पाद बनाया है वह हाइफ़न फूड्स है. और यह एक दशक से भी कम समय में हुआ है.
हरेश ने खड़ी की हजार करोड़ की कंपनी
अहमदाबाद-मेहसाणा (Mehsana) हाईवे पर स्थित, हाईफन फार्म्स एक आलू व्यापारी के बेटे हरेश करमचंदानी के दिमाग की उपज है. हालांकि हर भारतीय घर के मुख्य खाद्य पदार्थों के प्रति आकर्षण बहुत कम उम्र से ही शुरू हो गया था. बता दें हरीश के दादा ने 1962 में आलू और प्याज का व्यापार शुरू किया था. जबकि उनके पिता ने व्यवसाय का विस्तार किया. साल 2015 में, प्रबंध निदेशक और समूह के सीईओ हरेश करमचंदानी के नेतृत्व में तीसरी पीढ़ी ने आलू के विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने के लिए हाईफन की स्थापना की थी. करमचंदानी के दादाजी आसन करमचंदानी गुजरात के छोटे से शहर मेहसाणा (Mehsana) में आलू और प्याज की आढ़त चलाते थे.
हाईफन कंपनी बनाती है फ्रोजन आलू के स्नैक्स
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आजादी के बाद गुजरात तेजी से विकास पथ पर आरूढ़ हुआ. इसके साथ ही मेहसाणा (Mehsana) की भी तकदीर बदली. लेकिन करमचंदानी परिवार आलू का ही काम कर रहे थे. इसी परिवार में रहे हरेश बचपन से ही आलू के बिजनेस की बारीक चीजें सीख रहे थे. हरेश करमचंदानी का जन्म भले ही एक आढ़ती के परिवार में हुआ था, लेकिन उनकी पढ़ाई पूरी इंग्लिश स्कूल में हुई. मेहसाणा (Mehsana) में कोई इंग्लिश मीडिया स्कूल नहीं था इसलिए हरेश को राजस्थान के हिल स्टेशन कहलाने वाले माउंट आबू के प्रसिद्ध सेंट मैरी स्कूल में दाखिला दिलाया गया.
आलू का व्यवसाय हरेश को मिला विरासत में
इस वजह से उन्हें चार साल की उम्र में ही घर छोड़ कर स्कूल में आना पड़ा. इस स्कूल से 10वीं करने के बाद उन्होंने हायर सेकेंडरी कि पढ़ाई पूरी कि. फिर उन्होंने कामर्स में बी. कॉम में लिया गया. इसके बाद उन्होंने मास्टर्स की डिग्री भी हासिल की. पढ़ाई पूरी करने के बाद हरेश साल 1999 में मेहसाणा (Mehsana) में फैमिली फर्म्स से जुड़ गए. मतलब कि वह आलू का काम करने लगे. इसी दौरान उन्होंने देखा कि भारत में आलू का रुख तेजी से बदल रहा है. आलू की नई नई सुपरमार्केट खोजी जा रही है.
विश्वभर में बेचे जा रहे हैं हरेश की कंपनी के प्रोडक्ट्स
वहीं उसी समय आलू चिप्स और फ्रेंच फ्राइज बनाने के लिए भी विदेशी व्यापारी भारत आ रहे थे. एक अमेरिकी कंपनी ने तो यहां (Mehsana) आलू के चिप्स बनाने के लिए विदेशी वेराइटी भारत लाई और भारतीय किसानों से इसकी कांट्रैक्ट फॉर्मिंग शुरू की. इसी से हरेश को आलू के क्षेत्र में ही कुछ अनोखा करने की प्रेरणा मिली. 2015 में अपनी कंपनी कि स्थापना के बाद हाइफ़न फ़ूड्स ने केवल सात वर्षों में 1,000 करोड़ रुपए का राजस्व पार कर लिया. पिछले वित्त वर्ष में कंपनी ने 1,200 करोड़ रुपए का कारोबार किया, जिसमें 70 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल थी और अगले 3-4 वर्षों में इसकी योजना 5,000 करोड़ रुपए को पार करने की है.
कंपनी ने किया 1200 करोड़ का कारोबार
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साथ ही मेहसाना (Mehsana) में कंपनी का साल 2024 तक लक्ष्य है कि गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में 30,000 किसानों का नेटवर्क बनाना है जिसमें आलू की खरीद को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. आज कंपनी हर साल लगभग 3.5 लाख टन आलू की खरीद करती है, जिसे 2028 से 10 लाख टन तक पार करने का अनुमान है.
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