Holi: इस साल देशभर में होली का त्योहार 14 मार्च को मनाया जाएगा। होली (Holi) को लेकर लोग काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं। होली का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में एक ऐसा गांव भी है जहां होली नहीं मनाई जाती है। 14 मार्च 2025 को जब पूरा देश होली का त्योहार मना रहा होगा, तब इस जगह पर होली के रंग बिल्कुल भी देखने को नहीं मिलेंगे। आइए जानते हैं भारत के इस गांव के होली (Holi) ना मनाने की वजह क्या है?
झारखंड के गांव ने 200 सालों से नहीं मनाई होली
जहां होली (Holi) नहीं मनाई जाती वह जगह झारखंड के बोकारो जिले में है। जहां पिछले 200 सालों से होली नहीं खेली गई है। बोकारो जिले के दुर्गापुर गांव के लोगों का मानना है कि अगर वे रंग खेलेंगे तो गांव पर कोई बड़ी विपत्ति आ सकती है। जब पूरा देश रंगों में सराबोर होता है। तब इस गांव में सन्नाटा पसरा रहता है। गांव में ना रंग, ना पिचकारी, ना पकवान कुछ नहीं होता। दुर्गापुर पंचायत के 12 टोले और 1700 से अधिक लोग इस परंपरा का पालन कर रहे हैं।
जानिए अनोखी परंपरा के पीछे की कहानी
दुर्गापुर पंचायत के लोगों के अनुसार 200 साल पहले दुर्गापुर के राजा दुर्गा प्रसाद के महल में होली (Holi) के अवसर पर नृत्य का आयोजन किया गया था। उसी समय रामगढ़ के राजा कामच्छा नारायण ने अपनी पत्नी के लिए पश्चिम बंगाल से साड़ी मंगवाई थी। जब रामगढ़ के सैनिक साड़ी लेकर लौट रहे थे तो दुर्गापुर के राजा ने नर्तकी को रानी की साड़ी पहना दी और उसमें नृत्य कराया। रामगढ़ के राजा को यह अपमान बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने होली के दिन दुर्गापुर पर हमला कर दिया।
होली ना मनाने के पीछे बताते है कईं राज
इस हमले में दुर्गापुर के राजा की मौत हो गई कई निर्दोष ग्रामीण भी मारे गए। गांव की बुजुर्ग महिला वासु देवी और सबी देवी कहती हैं कि उन्होंने पिछले 50 सालों में कभी किसी को होली (Holi) खेलते नहीं देखा। मान्यता है कि गांव के देवता बदराव पहाड़ी बाबा को रंग और धूल पसंद नहीं है। एक बार एक आदिवासी ने होली खेली तो अगले ही दिन उसकी मौत हो गई थी। तब से गांव के लोग मान्यताओं और परंपराओं का पालन करते आ रहे हैं और होली (Holi) नहीं खेलते।
होली खेलने पर आती है बड़ी विपत्ति
क्या यह परंपरा कभी टूटेगी ये सभी के लिए एक सवाल है। 200 साल पुरानी यह परंपरा आज भी जारी है। गांव के लोग इसे श्रद्धा और भय दोनों से जोड़ते हैं। कोई भी इस परंपरा को तोड़ने की हिम्मत नहीं करता है। क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर उन्होंने होली खेली तो परिणाम बुरे होंगे। लोगों का मानना है कि अगर वे होली (Holi) खेलेंगे तो गांव पर कोई बड़ी विपत्ति आ सकती है।
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