How Sanjay Agarwal Became The Owner Of 10 Thousand Crores By Doing This One Work, Know Here

Sanjay Agarwal: “कड़ी से कड़ी जुड़ती है तो जंजीर बनती है, और मेहनत दर मेहनत होती है तो इंसान की तक़दीर बनती है”। इस कहावत को सच  साबित करने के लिए आज हम आपको एक ऐसे लड़के की कहानी बताने वाले हैं जिसकी मेहनत के सामने किस्मत ने भी खुद घुटने टेक दिए थे।  8वीं क्लास में फेल होने के बावजूद आज अपनी मेहनत के दम पर वो लड़का करोड़ों की कंपनी का मालिक बन गया है। दरअसल हम जिस शख्स की बात कर हैं  है उसका नाम है संजय अग्रवाल। भले ही आपने इनका नाम नहीं सुना होगा लेकिन आपने इनके बैंक का नाम जरूर सुना होगा। जिसपर आज की तरीख में करीब 25 लाख से भी ज्यादा लोग विश्वास करते हैं।

उधार लेकर Sanjay Agarwal ने खोली थी कंपनी

Sanjay Agarwal
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राजस्थान के जयपुर में जन्मे संजय अग्रवाल ( Sanjay Agarwal) बचपन में एक क्रिकेटर बनना चाहते थे। अपनी इसी सपने को पूरा करने के लिए वो पढ़ाई में भी ध्यान नहीं देते थे जिस कारण आठवीं कक्षा में वो फेल हो गए थे। हालांकि कुछ सालों बाद संजय के सिर से क्रिकेटर बनने का बुखार भी उतर जाता है और वो सीए बनने के लिए मैदान में उतर जाते हैं। लेकिन सीए बनना कोई आसान बात थोड़ी है। कठिन मेहनत और खूब परिश्रम करने के बावजूद संजय दो बार सीए की परीक्षा में भी फेल हो गए। लेकिन उन्होंने मेहनत नहीं छोड़ी और तीसरी बार सीए की मेरिट लिस्ट में उनका नाम आखिरकार आ ही गया।

संजय अब सीए बन गए थे, एक हाईपेइंग जॉब भी उन्हें मिल गई थी लेकिन संजय (Sanjay Agarwal) का गोल इससे भी काफी बड़ा था। जिसकी वजह से वो बंबई में नौकरी छोड़कर वापस जयपुर पहुंच गए और यहां उन्होंन लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए 1996 में कुछ लोगों से पैसा उधार लेकर एनबीएफसी यानी नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी की स्थापना करदी। ये कंपनी उन दिनों  लोगों को ट्रक, कार और अन्य वाहन लेने के लिए लोन देती थी।

एचडीएफसी ने बदली किस्मत

Sanjay Agarwal
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लोगों को वाहन खरीदने के लिए लोन देते देते संजय (Sanjay Agarwal) छोटा मोटा मुनाफा कमा रहे थे लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ जिसने संजय और उनकी कंपनी की पूरी किस्मत ही बदल ड़ाली। दरअसल साल था 2003, जब एचडीएफसी ने संजय की कंपनी  एयू फाइनेंशियर्स से हाथ मिला लिया। और पार्टनरशिप के मुताबिक एयू  HDFC के ग्राहकों के लिए सोने की खरीद-बेच का साधन बन गया। इसके साथ ही एयू महज 18 फीसदी सालाना ब्याज पर ग्रामीण क्षेत्रों में वाहनों के लिए लोन 24 घंटों के भीतर देने लगा। कंपनी लगातार अच्छा काम करती रही और अब वाहन लोन के साथ साथ हाउस लोन पर भी काम करने लगी।

लगातार अच्छे प्रफोमेंस के कारण संजय अग्रवाल की कंपनी को मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट इक्विटी से भी 20 करोड़ रुपये का निवेश मिल गया। इस निवेश के बाद तो कंपनी ने कभी पीछे मुड़के नहीं देखा और सितंबर 2013 तक कंपनी  4200 करोड़ रुपये का लोन लोगों तक पहुंचाकर लोन सेक्टर में बड़ा प्लेयर बन गई थी।

हालंकि संजय अपनी कंपनी का टर्निग पॉइंट 2015 को मानते हैं जब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने फाइनेंस के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी घोषणा करते हुए बैंकिंग सेक्टर के लिए एक नई कैटेगरी बना दी और एयू स्माल फाइनेंस बैंक तब एकमात्र ऐसी NBFC थी, जो लाइसेंस पाने में कामयाब रही। और 2017 को  एयू स्माल फाइनेंस बैंक की स्थापना कर दी गई।

10 हजार करोड़ के मालिक बने Sanjay Agarwal

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सीए की नौकरी छोड़कर कुछ लोगों से पैसे उधार लेकर बनाई गई कंपनी की आज की तारीख में कुल वैल्यू 45 हजार करोड़ की हो चुकी है और  संजय (Sanjay Agarwal) की नेटवर्थ लगभग 10 हजार करोड़ रुपये हो गई है। वहीं एयू स्माल फाइनेंस बैंक लगातार देशभर में अपना विस्तार कर रहा है। फिलहाल देशभर में इस बैंक की करीब 1000 से ज्यादा शाखाएं हैं।  AU बैंक के सेविंग अकाउंट पर 7.25 फीसदी का ब्याज मिलता है।

इतना ही नहीं ये बैंक एफडी पर भी अच्छा खासा ब्याज देता है 7 जून 2024 को रिवाइज की गई FD की दरों के हिसाब से देखें तो ये बैंक 18 महीनों की एफडी पर 8.24 फीसदी ब्याज देता है। साथ ही वरिष्ठ नागरिकों को इसी अवधि के लिए एफडी पर 8.77% ब्याज प्राप्त होता है। बाकी बैंकों की तुलना में काफी ज्यादा ज्यादा ब्याज दरों के कारण ही लोग लगातार इस बैंक से जुड़ रहे हैं।

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