Husband: भारत में, तलाक के बाद, दंपतियों को अक्सर गुजारा भत्ते को लेकर अदालतों में लड़ते देखा जा सकता है. गुजारा भत्ता के मामलों में गरमागरम बहस भी देखने को मिलती है और कई बार आरोप भी लगाए जाते हैं कि क्या तलाकशुदा पत्नी अनुचित गुजारा भत्ता मांग रही है? ऐसा ही एक मामला लखनऊ से सामने आया है.
यहाँ एक कामकाजी महिला ने अपने पति (Husband) के खिलाफ गुजारा भत्ता का मुकदमा दायर किया था. अब इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस मामले में एक अहम फैसला सुनाया है. यह फैसला भविष्य में ऐसे अन्य मामलों के लिए नज़ीर भी बन सकता है.
कोर्ट के आदेश को दी थी चुनौती

न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की एकल पीठ ने पति (Husband) की ओर से दायर पुनरीक्षण याचिका पर यह आदेश दिया. इसमें पति ने लखनऊ के पारिवारिक न्यायालय के 18 मार्च 2024 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें पति को सीआरपीसी की धारा 125 के तहत पत्नी को 15,000 रुपये प्रति माह और नाबालिग बच्चे को 25,000 रुपये प्रति माह भरण-पोषण के लिए देने का निर्देश दिया गया था. पारिवारिक विवाद के कारण पत्नी वर्ष 2023 से बच्चे के साथ अलग रह रही है.
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वर्किंग वाइफ को भी पड़ी जरूरत
आदेश के अनुसार, पति (Husband) एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और वर्तमान में 1.75 लाख रुपये वेतन कमा रहा है, जबकि पत्नी भी एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और वह भी हर महीने 73 हजार रुपये वेतन कमा रही है. अदालत को यह भी बताया गया कि पत्नी ने बख्शी का तालाब में 80 लाख रुपये से ज़्यादा कीमत का एक फ्लैट भी खरीदा है. पति ने कहा कि ऐसी स्थिति में पत्नी सक्षम होने के बावजूद उससे भरण-पोषण का पैसा पाने की हक़दार नहीं है.
जानें क्या है कोर्ट का फैसला?
अदालत ने कहा कि चूँकि पत्नी को 73,000 रुपये वेतन मिल रहा है, इसलिए वह अपना भरण-पोषण ठीक से कर पा रही है. साथ ही, यह भी कहा कि पत्नी ने एक फ्लैट भी खरीद लिया है. ऐसे में, पारिवारिक अदालत ने पति को पत्नी को 15,000 रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता देने का निर्देश देकर त्रुटि की है.
जबकि, बच्चे को 25 हज़ार रुपये प्रतिमाह देने का आदेश तार्किक है. इस टिप्पणी के साथ ही कोर्ट ने याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए पत्नी को 15 हज़ार रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता न देने का निर्देश दिया. हालाँकि, कोर्ट ने पति (Husband) को बच्चे को 25 हज़ार रुपये प्रतिमाह देने का आदेश दिया है।