In Chhattisgarh, 10 Patients Lost Their Eyesight After Cataract Surgery
In Chhattisgarh, 10 patients lost their eyesight after cataract surgery
Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही के चलते कई लोगों की आखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई है। दरअसल प्रदेश के दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में हुई सर्जरी के बाद 10 से ज्यादा  मरीजों की आंखों से पस आने लगा था। वहीं, आज एक और मरीज को इस मामले में भर्ती कराया गया है। खबरों के मुताबिक 10 में से सिर्फ दो या तीन मरीजों की आंखें की रोशनी वापस आ सकती है।

यानि ये तो तय है कि 10 मरीजों की जिंदगी में हमेशा के लिए अंधेरा छाने वाला है। बता दें कि करीब 13 साल पहले भी ऐसी ही घटना हुई थी, जिसमें करीब पांच दर्जन लोगों को अपनी आँखों की रोशनी गंवानी पड़ गई थी।

10 लोगों की आँखों की गई रोशनी

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दरअसल 18 अक्टूबर को दंतेवाड़ा (Chhattisgarh) जिला अस्पताल में करीब 20 मरीजों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के अगले दिन दस मरीजों की आंखों में इंफेक्शन हो गया, आंखों में पस आना और खुजलाहट जैसी परेशानी देखने को मिली। वहीं, मामले की जानकारी मिलते ही सभी मरीजों को आनन-फानन में रायपुर शिफ्ट किया गया। बताया गया कि यहां इन मरीजों का फिर से ऑपरेशन किया गया है, लेकिन अब मामला हाथ से फिसलता नजर आ रहा है।

खबरों की माने तो करीब 10 से ज्यादा मरीजों की आंखों की रोशनी लौटने की संभावना ना के बराबर है। कहा ये भी जा रहा है कि एक दो मरीजों के आई बॉल को भी निकालने की नौबत आ सकती है। फिलहाल सभी मरीजों का मेकाहारा में इलाज चल रहा है।

फिर याद आया 13 साल पुराना अंखफोड़वा कांड

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साल 2011 में भी छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के दौरान ऐसी ही लापरवाही बरती गई थी। आपको बता दें, प्रदेश के 2 सरकारी शिविरों में मोतियाबिंद ऑपरेशन के दौरान लापरवाही के चलते करीब पांच दर्जन लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। बालोद में 48, बागबाहरा में 12, राजनांदगांव-कवर्धा में 4-5 लोग इसके शिकार हुए। इस मामले में दुर्ग सीएमओ समेत बालोद बीएमओ, तीन नेत्र सर्जन आदि सस्पेंड हुए थे। जिसे आंखफोड़वा कांड भी कहा गया।

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