Uttarakhand: उत्तराखंड (Uttarakhand) के पहाड़ी इलाके में एक दिल दहला देने वाली त्रासदी सामने आई है. 17 सितंबर को उत्तराखंड में चमोली जिले के नंदानगर क्षेत्र के कुंत्री गांव में बादल फटने से हजारों टन मलबा आ गया, जिससे कई घर दब गए. भूस्खलन में दबे एक परिवार को निकालने के लिए 32 घंटे का बचाव अभियान चलाया गया. जब मलबा हटाया गया, तो माँ अपने जुड़वाँ बच्चों को सीने से लगाए हुए मिली. यह दृश्य देखकर सभी की आँखों में आँसू आ गए.
पति कुंवर, पत्नी कांता और दो मासूम
मां ने आखिरी सांस तक अपने जुड़वां बच्चों को सीने से लगाए रखा। जब रेस्क्यू टीम ने तीनों के शव निकाले, तो मां और बच्चे एक-दूसरे से लिपटे मिले, जैसे ज़िंदगी थम गई, लेकिन ममता नहीं।
उत्तराखंड के नंदानगर ब्लॉक के एक गांव में शुक्रवार को उस वक्त दिल दहला देने वाला मंजर देखने को मिला,… pic.twitter.com/txEx3bTOAj
— AajTak (@aajtak) September 20, 2025
उत्तराखंड (Uttarakhand) के कुंवर और उनकी पत्नी कांता अपने जुड़वां बच्चों के साथ घर के अंदर थे. अचानक पहाड़ से मलबा गिरा और पूरा घर दब गया. पूरा परिवार मलबे में दब गया. जब कुंवर सिंह ने अपनी पत्नी कुंती और बच्चों की हालत देखी, तो वे फूट-फूट कर रोने लगे। कुंती और दोनों बच्चे पहले ही मर चुके थे, लेकिन वह आखिरी साँस तक उन्हें बचाने की कोशिश करती रहीं.
जिसने भी यह दृश्य देखा, उसकी आँखों में आँसू आ गए. कांता चीखती-चिल्लाती रही, लेकिन कोई भी उसे समय पर बचा नहीं पाया. इस तरह एक माँ की ममता मलबे में दबकर मौत के मुँह में चली गई.
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32 घंटे चला रेस्क्यू, लेकिन…

सूचना मिलते ही एसडीआरएफ और उत्तराखंड (Uttarakhand) पुलिस की टीमें घटनास्थल पर पहुँचीं। पहाड़ी इलाका और बारिश के कारण बचाव कार्य मुश्किल हो रहा था, लेकिन जवानों ने हार नहीं मानी. 32 घंटे की लगातार कोशिश के बाद आखिरकार वे परिवार तक पहुँच ही गए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
बचाव दल ने बताया कि मलबे में दबी होने के बावजूद, कांता अपने दोनों बच्चों को ऐसे पकड़े रही मानो उन्हें जाने ही न दे. माँ और बच्चों की साँसें थम चुकी थीं, लेकिन उसकी करुणा ने सभी को भावुक कर दिया.
गांव में मातम, पिता बेसुध
इस त्रासदी ने पूरे गाँव को झकझोर कर रख दिया है. हर कोई रो रहा है. कुंवर ने अपनी पत्नी और दो बच्चों को खो दिया है. वे बेसुध हैं. प्रशासन ने शोकाकुल परिवार को हर संभव सहायता और मुआवज़ा देने का आश्वासन दिया है. उत्तराखंड (Uttarakhand) जैसे आपदा-प्रवण राज्य के लिए, यह घटना एक स्पष्ट चेतावनी है कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए और भी मज़बूत व्यवस्थाओं की ज़रूरत है, लेकिन कांता का ममतामयी प्रेम अमर रहेगा. एक माँ जिसने अपनी आखिरी साँस तक अपने बच्चों को सीने से लगाए रखा।