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Ummul Kher : अब तक आपने कई ऐसे लोगों की प्रेरक कहानियां पढ़ी होंगी जिन्होंने तमाम मुश्किलों से लड़कर अपना लक्ष्य हासिल किया। किसी के जीवन में परेशानियां पहले से नहीं आतीं। लेकिन इन कठिन परिस्थितियों में ही इंसान के धैर्य का परिचय मिलता है। आज हम एक ऐसी आईएएस की कहानी बताने जा रहे हैं। जिसने मुश्किल हालातों से लड़कर आईएएस (Ummul Kher) बनने का सफर तय किया। ये कहानी एक ऐसी लड़की की है जिसे आप खड़े होकर सलाम करेंगे।

Ummul Kher मुसीबतों से लड़ बनीं आईएस

Ummul Kher

हम बात कर रहे हैं उम्मुल खेर (Ummul Kher) की। उम्मुल जैसी बहादुर लड़की समाज में कम ही मिलती है। उम्मुल जन्म से विकलांग थीं लेकिन उन्होंने इस विकलांगता को अपनी ताकत बनाया और सफलता की सीढ़ियां चढ़ीं। उम्मुल बोन फ्रैजाइल डिसऑर्डर से पीड़ित हैं। उन्होंने गरीबी, बीमारी, पारिवारिक विद्रोह का सामना करते हुए ये सफर पूरा किया है। आईएएस उम्मुल खेर (Ummul Kher) उन शख्सियतों में से हैं जिन्होंने बचपन से ही तमाम मुश्किलों का सामना करना शुरू कर दिया था।

16 फ्रैक्चर और 8 सर्जरी का किया सामना

Ummul Kher

राजस्थान के पाली की रहने वाली उम्मुल खेर (Ummul Kher) बचपन से ही विकलांग थीं। उनके परिवार ने भी उनसे मुंह मोड़ लिया था। लेकिन वह इन हालातों में घबराई नहीं। उन्होंने अपनी मंजिल खुद चुनी और उसी के मुताबिक रास्ता तैयार किया। इस सफर में उन्होंने हर मुश्किल का डटकर सामना किया और यूपीएससी परीक्षा पास कर वह सभी के लिए रोल मॉडल बन गईं। डिसऑर्डर की वजह से उम्मुल की हड्डियां अक्सर टूट जाती थीं। उन्हें (Ummul Kher) अपने जीवन में 16 फ्रैक्चर और आठ सर्जरी का सामना करना पड़ा।

बचपन में उजड़ा उम्मुल का घर

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परिवार में उम्मुल खेर (Ummul Kher) के माता-पिता और तीन भाई-बहन हैं। जब वह बहुत छोटी थीं, तो उनके पिता परिवार के साथ दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित एक झुग्गी में रहने लगे। उनके पिता कपड़े बेचते थे। फिर सरकार के आदेश पर वहां की झुग्गियों को तोड़ दिया गया। उनके परिवार को शिफ्ट होना पड़ा और वह त्रिलोकपुरी के स्लम एरिया में रहने लगे। उम्मुल खेर के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी।

ट्यूशन पढ़ाकर किया खुद का भरण-पोषण

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परिवार का भरण-पोषण करने और अपनी फीस भरने के लिए उन्होंने कक्षा 7 से ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया। जब उम्मुल खेर (Ummul Kher) कक्षा 9 में थीं, तब उनकी मां का निधन हो गया। 2014 में उम्मुल का चयन जापान के इंटरनेशनल लीडरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए हुआ।

इस प्रोग्राम के 18 साल के इतिहास में सिर्फ़ तीन भारतीय ही चुने गए और उम्मुल (Ummul Kher) ऐसी चौथी भारतीय थी। एमफिल के बाद उम्मुल ने जेआरएफ पास किया और यहीं से उनकी आर्थिक परेशानियाँ दूर हो गईं।

पहले प्रयास में पाई आईएएस में सफलता

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पहले ही प्रयास में पास की परीक्षा जेआरएफ के साथ ही उम्मुल खेर (Ummul Kher) ने आईएएस की तैयारी भी शुरू कर दी। अब तक के अपने जीवन में उन्होंने अपना पूरा समय सिर्फ़ पढ़ाई को ही समर्पित किया था। वह ना सिर्फ़ पढ़ाई में अच्छी थी बल्कि मेहनत भी बहुत करती थी।

शायद इसीलिए जब उम्मुल (Ummul Kher) ने अपने पहले ही प्रयास में 420वीं रैंक के साथ यूपीएससी की इस कठिन परीक्षा को पास किया तो किसी को आश्चर्य नहीं हुआ। उम्मुल शायद सफलता की नई कहानियाँ रचने के लिए ही पैदा हुई थी।

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