बॉर्डर पर भूत बनकर 48 साल भी ड्यूटी करता है फौजी, मरने के बाद भी मिलती है साल में 2 महीने छुट्टी

Baba Harbhajan Singh : हमारे देश के जवान हर वक्त दुश्मनों से देश की रक्षा करते हैं। इस दौरान कईं सैनिक शहीद भी हो जाते है। लेकिन क्या आप उस जवान के बारे में जानते हैं जिसके लिए देश का जुनून इतना है कि वह मरने के 48 साल बाद भी देश की रक्षा कर रहा है।

ये सुनकर आपको अजीब लग रहा होगा कि क्या मरने के बाद भी कोई आपकी सुरक्षा के लिए खड़ा हो सकता है? लेकिन इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। अपनी मौत के 50 साल बाद भी जवान हरभजन सिंह (Baba Harbhajan Singh) सिक्किम बॉर्डर पर हमारे देश की रक्षा कर रहे हैं।

Baba Harbhajan Singh मरने के बाद कर रहे ड्यूटी

Baba Harbhajan Singh

जी हाँ, हम बात कर रहे है शहीद हरभजन सिंह (Baba Harbhajan Singh) कि, जो आज भी अपनी मौजूदगी का अहसास कराते है। यही वजह है कि आज भी भारतीय सेना उनके मंदिर का रखरखाव करती है और उनके मंदिर में पूजा की जिम्मेदारी भी सेना पर ही है। सिक्किम में भारत-चीन सीमा पर तैनात भारतीय जवानों को 50 साल पहले गायब हुए भारतीय जवान हरभजन सिंह की मौजूदगी का अहसास होता है।

कहा जाता है कि तब से वह (Baba Harbhajan Singh) खुद भारतीय सीमा कीई जवान लापरवाही करता है तो वो उसे थप्पड़ मारकर जगा देते हैं। रक्षा कर रहे हैं और अगर पेट्रोलिंग के दौरान को

जानिए बाबा हरभजन सिंह के बारे में

Baba Harbhajan Singh

हरभजन सिंह (Baba Harbhajan Singh) पंजाब रेजिमेंट के सिपाही थे। उनका जन्म 30 अगस्त 1946 को पंजाब के गुजरावाला (आज का पाकिस्तान) में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही प्राप्त की और 1965 में पट्टी पंजाब के डीएवी हाई स्कूल से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद अगले ही साल 24वीं पंजाब रेजिमेंट में सिपाही के तौर पर भर्ती हो गए।

सिक्किम के नाथूला में हुआ हादसा हरभजन सिंह (Baba Harbhajan Singh) की जल्द ही सिक्किम में पोस्टिंग हो गई। एक दिन जब वह पूर्वी सिक्किम में नाथू ला दर्रे के पास खच्चर पर सवार होकर टुकू ला से डोंगचुई ला नदी पार कर रहे थे तो वह खच्चर के साथ नदी में बह गए। दो दिन की तलाश के बाद भी उनका शव नहीं मिला। उस समय उनकी उम्र महज 22 साल थी।

हरभजन सिंह ने मरने के बाद बताया अपने बारे में

Baba Harbhajan Singh

कहा जाता है कि बाबा हरभजन सिंह (Baba Harbhajan Singh) अपने साथी सैनिक के सपने में आए और उसे बताया कि उनका शव कहां है। जिसके बाद जब भारतीय सेना ने तलाश शुरू की तो उनका शव उसी स्थान पर मिला, जिसके बारे में उन्होंने सपने में अपने साथी को बताया था। पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।

कहा जाता है कि हरभजन सिंह (Baba Harbhajan Singh) ने सपने में अपनी समाधि बनाने की इच्छा भी जताई थी। ऐसे में उनकी समाधि जेलेप दर्रे और नाथुला दर्रे के बीच 14 हजार फीट की ऊंचाई पर बनाई गई। बाबा हरभजन सिंह के मंदिर की सुरक्षा सेना के जवान करते हैं।

मंदिर में दूर होते हर किसी के दुःख-दर्द

Baba Harbhajan Singh

मंदिर में हरभजन सिंह (Baba Harbhajan Singh) की मूर्ति, जूते, सेना की पोशाक, टोपी, बिस्तर और अन्य सामान रखा हुआ है। यहां उनके जूतों की हर रोज पॉलिश भी की जाती है। मंदिर के बाहर एक बोर्ड लगा है जिस पर बताया गया है कि मान्यताओं के अनुसार मंदिर में चढ़ाए गए जल को पीने से बीमार व्यक्ति ठीक हो जाता है।

इसलिए श्रद्धालु यहां बोतल में जल भरकर लाते हैं और फिर उसे लेकर घर जाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से श्रद्धालुओं के दुख-दर्द दूर होते हैं।

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