Nagpur-Jabalpur Highway Accident: महाराष्ट्र के नागपुर–जबलपुर हाईवे पर एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। 9 अगस्त 2025 को देवलापार क्षेत्र में हुए सड़क हादसे (Nagpur-Jabalpur Highway Accident) में 31 वर्षीय ग्यारसी यादव की मौत हो गई। नागपुर जिले के दवलापार थाना क्षेत्र के मोरफटा इलाके में एक व्यक्ति अपनी बाइक के पीछे पत्नी का शव बांधे हुए जा रहा था। यह घटना मानवता को शर्मसार कर देने वाली और बेहद पीड़ादायक थी।
फरार हुए आरोपी

दरअसल, 31 वर्षीय ग्यारसी यादव अपने पति अमित यादव के साथ बाइक पर सवार थीं। रास्ते में अचानक एक तेज रफ्तार ट्रक ने उनकी बाइक को जोरदार टक्कर मार दी। हादसा (Nagpur-Jabalpur Highway Accident) इतना भीषण था कि ग्यारसी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि ट्रक चालक दुर्घटना के बाद फरार हो गया।
दुर्घटना के बाद बारिश हो रही थी। अमित ने सड़क किनारे खड़े होकर एंबुलेंस, मेडिकल सहायता और राहगीरों से मदद की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने भी रुककर सहायता नहीं दी। कई वाहन उनके पास से गुजर गए, पर किसी ने इंसानियत दिखाने की कोशिश नहीं ।
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बाइक पर बांधी पत्नी की लाश
जब हर तरफ से मदद न मिली, तो मजबूरी में अमित ने अपनी पत्नी के शव को कपड़े से बांधकर बाइक के पीछे सुरक्षित किया और लगभग 80 किलोमीटर दूर स्थित अपने गांव की ओर निकल पड़े। यह सफर दर्द, सदमे और असहायता से भरा था। रास्ते में भी किसी ने उन्हें रोककर सहायता नहीं दी।
आखिरकार, मोरफटा इलाके में गश्त कर रही हाईवे पुलिस ने उन्हें रोका। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए नागपुर के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज भेजा और फरार ट्रक चालक के खिलाफ मामला दर्ज (Nagpur-Jabalpur Highway Accident) कर लिया। फिलहाल पुलिस चालक की तलाश में जुटी हुई है।
किसी ने नहीं की मदद
यह घटना (Nagpur-Jabalpur Highway Accident) न केवल सड़क सुरक्षा और आपातकालीन सहायता व्यवस्था की गंभीर कमी को उजागर करती है, बल्कि समाज में घटती संवेदनशीलता पर भी बड़ा सवाल खड़ा करती है। एक व्यक्ति जिसने अपनी पत्नी को हादसे में खो दिया, मदद की उम्मीद में सड़क पर खड़ा था, लेकिन कोई नहीं रुका।
अमित यादव की यह दर्दनाक यात्रा हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारी संवेदनाएं इतनी मर चुकी हैं कि किसी की पुकार पर भी हम मौन रह जाते हैं। यह हादसा व्यवस्था और समाज दोनों के लिए एक कठोर चेतावनी है कि इंसानियत को जिंदा रखना सिर्फ जरूरी नहीं, बल्कि हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
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