Premanand Maharaj: भारत की आध्यात्मिक परंपरा में ऐसे कई संत हुए हैं जिन्होंने भौतिक सुख-सुविधाओं को त्यागकर केवल भक्ति और सेवा का मार्ग अपनाया। आज के समय में भी प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Maharaj) उन्हीं संतों की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
आधुनिक युग में जहां हर कोई पैसा, संपत्ति और ऐशो-आराम की चीजें जुटाने की दौड़ में भाग रहा है, वहीं प्रेमानंद जी का जीवन बिल्कुल विपरीत है। उनके पास न कोई घर है, न बैंक अकाउंट, न मोबाइल फोन और न ही अपनी गाड़ी। फिर भी वे लाखों भक्तों के दिलों में बसे हुए हैं।
त्याग और सादगी का जीवन जीते है Premanand Maharaj

आपको बता दें, एक भक्त ने प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Maharaj) से पूछा कि महाराज अपनी कितनी दौलत है? इसपर उन्होंने कहा कि उनके पास कोई निजी संपत्ति नहीं है। वे अक्सर कहते हैं कि अगर कोई उनसे 10 रुपये भी मांग ले तो उनके पास देने को नहीं होता। वे पूरी तरह त्याग और सादगी का जीवन जीते हैं।
वे न तो किसी आलिशान घर में रहते हैं और न ही अपने लिए कोई महलनुमा आश्रम बनवाया है। उनका निवास किसी भक्त द्वारा उपलब्ध कराए गए फ्लैट में होता है, जहां भोजन और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था भी भक्त ही करते हैं। यहां तक कि बिजली का बिल भी उनके अनुयायी भरते हैं।
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नहीं है कोई गाड़ी और मोबाइल
कई बार सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें लग्ज़री कारों के साथ वायरल होती हैं, जिनमें लोग समझते हैं कि यह उनकी गाड़ियां हैं। लेकिन महाराज (Premanand Maharaj) जी स्वयं स्पष्ट करते हैं कि उनके पास कोई कार नहीं है। वे अधिकांश समय पैदल यात्रा करते हैं और जब कभी कार में दिखाई देते हैं तो वह कार उनके ‘कार सेवक’ या भक्त की होती है। इसी तरह उनके पास मोबाइल फोन भी नहीं है। न तो वे मोबाइल चलाते हैं और न ही इसकी कोई आवश्यकता महसूस करते हैं।
उनके इस साधु जीवन का संदेश यही है कि वास्तविक सुख और संतोष संपत्ति में नहीं बल्कि ईश्वर की भक्ति और आंतरिक शांति में है। प्रेमानंद जी का त्याग और जीवनशैली आज की पीढ़ी को यह सिखाती है कि आधुनिक भौतिकता की चकाचौंध से परे भी एक सच्चा और संतोषजनक जीवन जिया जा सकता है।
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