Pulwama Attack : भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों ने 2019 में पुलवामा (Pulwama Attack) में 40 अर्धसैनिक बलों के जवानों की हत्या में अपनी भूमिका स्वीकार की है। विदेशी संवाददाताओं सहित दर्जनों मीडिया कर्मियों के सामने पाकिस्तान ने कहा कि पुलवामा आतंकी हमला पाकिस्तानी सेना की रणनीतिक प्रतिभा थी।
शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पाकिस्तान वायु सेना (पीएएफ) के महानिदेशक एयर वाइस मार्शल औरंगजेब अहमद ने कहा, “हमने पुलवामा (Pulwama Attack) में अपनी रणनीतिक प्रतिभा से उन्हें यह बताने की कोशिश की।”
पुलवामा हमले के बारे में पाकिस्तान की सच्चाई
पुलवामा हमले (Pulwama Attack) के कुछ ही दिनों बाद 26 फरवरी 2019 को भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए। भारतीय वायुसेना की इस सर्जिकल स्ट्राइक से आतंकियों को भारी नुकसान पहुंचा और दुनिया को यह संदेश भी गया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने से नहीं हिचकिचाता। पुलवामा हमले (Pulwama Attack) की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली लेकिन पाकिस्तान इनकार की नीति पर चलता रहा।
पुलवामा को पाकिस्तान ने बताया रणनीतिक सफलता
तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने पुलवामा हमले (Pulwama Attack) के सबूत मांगे और इसे भारत की राजनीतिक चाल के रूप में पेश करने की कोशिश की। भारत ने आदिल अहमद डार जैसे हमलावरों को जैश से जोड़ने वाला एक मजबूत डोजियर भी पेश किया। लेकिन पाकिस्तान टालमटोल करता रहा।
अब एयर वाइस मार्शल का यह बयान कि पुलवामा एक रणनीतिक सफलता थी। यह साबित करता है कि पाकिस्तान की सरकार और सेना लंबे समय से दोहरी बातें कर रही है – एक तरफ शांति की बात कर रही है, दूसरी तरफ पर्दे के पीछे आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है।
पाकिस्तान का सालों से इनकार और सच्चाई की हार
पुलवामा हमले (Pulwama Attack) की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली, लेकिन पाकिस्तान इनकार की नीति पर चलता रहा। तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने ‘सबूत’ मांगे और इसे भारत की राजनीतिक चाल बताने की कोशिश की। भारत ने आदिल अहमद डार जैसे हमलावरों को जैश से जोड़ने वाला एक मजबूत डोजियर भी पेश किया, लेकिन पाकिस्तान टालमटोल करता रहा।
ऑपरेशन सिंदूर और आतंकी ढांचे पर भारत का प्रहार
पुलवामा हमले (Pulwama Attack) के बाद हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पीओके में कई आतंकी शिविरों को नष्ट कर दिया, जिसमें बहावलपुर में सुभान अल्लाह शिविर भी शामिल है। वही शिविर जिसे जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ माना जाता है। यह कार्रवाई पाकिस्तानी बुनियादी ढांचे पर सीधा प्रहार थी जिसका इस्तेमाल सालों से भारत में आतंक फैलाने के लिए किया जा रहा था।
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