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Dead people were working as ghosts

Money: कुछ लोगों ने भूत-प्रेत देखे होंगे और उनके बारे में कहानियां भी सुनी होंगी, लेकिन यह कोई कहानी या सपना नहीं, बल्कि हकीकत है, जहां लोग मरने के बाद भी मजदूरी कर रहे थे. इस गांव के लोग मरने के बाद भी अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे और भूत बनकर बैंक में जाकर सबके सामने पैसे (Money) भी पूरी हक से निकालते और खूब मौज-मस्ती करते थे. तो चलिए आगे जानते हैं कि इस भूत की सच्चाई क्या है?

इस गांव में भूतों ने की मजदूरी

संभल जिले के पंवासा ब्लॉक के अतरासी गांव की मौजूदा ग्राम प्रधान सुनीता यादव पर मृत ग्रामीणों के नाम पर जॉब कार्ड बनवाने, उनके खातों से फर्जी तरीके से पैसे (Money) निकालने और कागजों पर गलत तरीके से काम पूरा दिखाने का आरोप है. संभल डीएम राजेंद्र पेंसिया ने कहा कि करीब 7 महीने पहले यह मामला मेरे संज्ञान में आया था और मैंने जांच के आदेश दिए थे. किसी भी मामले में अगर गबन 10 फीसदी से कम है तो संबंधित अधिकारी से वसूली की जाती है.

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मनरेगा के लाभार्थी मजदूरों में शामिल

Mnrega Scam
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बता दें की भूतों के पैसों (Money) में 1.05 लाख रुपए का गबन पाया गया है, जिसकी वसूली ग्राम प्रधान से की जा रही है. साथ ही गांव में कराए गए अन्य विकास कार्यों की जांच शुरू हो गई है, जिसके आधार पर प्रशासन आगे की कार्रवाई की बात कह रहा है. इस पूरे मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि एक इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल का नाम भी मनरेगा के लाभार्थी मजदूरों में शामिल है और उन्हें इसकी जानकारी तक नहीं थी.

मुलायम सिंह यादव इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल ऋषिपाल सिंह ने बताया कि बिना मेरी जानकारी के मेरे नाम से जॉब कार्ड बना दिया गया. मैंने कभी मनरेगा में काम नहीं किया।

जानें कैसे बाहर आई सच्चाई

जांच कमेटी ने मुझे पूछताछ के लिए बुलाया था. उसी दौरान मुझे इस बारे में पता चला। उसी गांव में रहने वाले संजीव कुमार नाम के व्यक्ति ने मुझे बताया कि मेरे दादा जगत सिंह की साल 2020 में मौत हो गई थी.

हमें तो पता ही नहीं था कि उनके नाम पर मनरेगा के तहत मजदूरी दी जा रही है। हमें इस बात का पता तब चला जब हमने जांच करने आए अधिकारियों से अपने दादा का नाम सुना। हमें पता चला कि ऐसे करीब एक दर्जन कार्ड बने हैं, लेकिन वे लोग अब इस दुनिया में नहीं हैं।

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