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PR Sreejesh: पेरिस ओलंपिक में भारतीय  हॉकी टीम ने स्पेन को 2-1 के अंतर से हराकर ब्रॉन्ज मेडल मैच जीतने में सफलता प्राप्त की है। इस जीत से भारत में हॉकी के करोड़ों फैंस अपनी टीम पर गर्व कर रहे हैं। इसी बीच एक चौंकाने वाली खबर भी सामने आई है जिसे भारतीय हॉकी टीम के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। दरअसल ओलंपिक में मिली जीत के बाद भारतीय टीम के अनुभवी खिलाड़ी और गोलकीपर पीआर श्रीजेश (PR Sreejesh) ने अपने इंटरनेशनल करियर को अलविदा कह दिया।

बता दें कि पेरिस ओलंपिक के आगाज से पहले ही उन्होंने ऐलान कर दिया था कि इस ओलंपिक के बाद वो सन्यास ले लेंगे। वहीं अब हॉकी इंडिया की तरफ से उन्हे एक बड़ी जिम्मेदारी दे दी गई है। जिससे की सन्यास के बाद भी पीआर टीम के साथ जुड़े रहेंगे।

PR Sreejesh को बनाया गया हेड कोच

Pr Sreejesh
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पीआर श्रीजेश (PR Sreejesh) के अनुभव और भारतीय हॉकी टीम के लिए  उनके योगदान और प्रयासों को देखते हुए  हॉकी इंडिया ने उन्हें काफी अहम जिम्मेदारी सौंपी है। हॉकी इंडिया ने पीआर श्रीजेश को  जूनियर मेंस हॉकी टीम का नया हेड कोच बनाया है। इस बात की जानकारी हॉकी इंडिया  ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर कर दी है। जिसमें उन्होंने पीआर श्रीजेश की एक तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा है कि-” जूनियर पुरुष हॉकी टीम के नए हेड कोच के तौर पर पीआर श्रीजेश नियुक्त किए गए हैं, जो  सभी युवाओं को आगे भी प्रेरित करते रहेंगे। हमें आपके कोचिंग कार्यकाल का काफी बेसब्री से इंतजार है”।

 

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PR Sreejesh ने 2006 में भारत के लिए खेला था पहला मैच 

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टोक्यो ओलंपिक में जर्मनी के खिलाफ प्लेऑफ मुकाबले में पेनल्टी बचाकर 41 साल बाद भारत को ओलंपिक पदक दिलाना हो या फिर पेरिस में ओलंपिक खेलों में ऑस्ट्रेलिया को 52 साल बाद हराना हो । हर बड़े मैच में दर्शकों की जुबां पर एक ही नाम रहता है और वो है पीआर श्रीजेश (PR Sreejesh)। केरल के एक गांव से निकलकर भारतीय हॉकी टीम में पहुंचने तक का उनका सफर काफी प्रेरणादायक है।

साल 2006 में उन्हें भारतीय सीनियर हॉकी टीम की तरफ से खेलने का पहला मौका मिला था, और तब से लेकर आजतक पीआर श्रीजेश (PR Sreejesh) ने पीछे मुड़कर नहीं देखा है।  18 साल के अपने काफी लंबे करियर के दौरान पीआर श्रीजेश  ने कुल 4 ओलंपिक खेलों में हिस्सा  लिया है। जिसमें से दो बार तो वो पदक जीतने में भी सफल हुए हैं।  इसके अलावा उन्होंने टीम के लिए कप्तानी की  जिम्मेदारी को भी बखूबी संभाला है।

ग्रेस अंकों के लिए खेलना शुरू किया था हॉकी

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आठ मई 1988 को केरल के किझाकम्बलम नामक गांव में पैदा हुए श्रीजेश बताते हैं की  बोर्ड परीक्षा में ग्रेस अंक लाने के लिए वो एथलेटिक्स में उतरे थे और खैर बाद में स्कूल के कोच ने उन्हें हॉकी गोलकीपर बनने की सलाह दी थी। देखा जाए तो उस दौर में केरल में एथलेटिक्स और फुटबॉल ही ज्यादा पसंदीदा खेल थे लेकिन कोच की सलाह के कारण ही श्रीजेश हॉकी की दुनिया में उतर और भारतीय हॉकी के लिए एक वरदान साबित हुए। 2021 में श्रीजेश (PR Sreejesh) को भारत सरकार मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित कर चुकी है।

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