Ratan Tata : देश के दिग्गज कारोबारी रतन टाटा (Ratan Tata) का करीब 4 महीने पहले निधन हो गया था। जिसके बाद से लोग रतन टाटा की वसीयत को लेकर काफी चर्चा कर रहे थे। हाल ही में रतन टाटा (Ratan Tata) की वसीयत खोली गई है। जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
अब रतन टाटा की वसीयत में एक ऐसे शख्स का नाम भी शामिल है जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। रतन टाटा ने अपनी वसीयत में 500 करोड़ की संपत्ति एक अनजान शख्स के नाम की है। आइए जानते हैं कौन है ये शख्स?
Ratan Tata की वसीयत में हिस्सेदार बना ये शख्स
रतन (Ratan Tata) कि वसीयत में सबसे चौंकाने वाला खुलासा 500 करोड़ रुपये की रकम को लेकर है। जिसे रतन टाटा ने जमशेदपुर के एक शख्स को तोहफे में दिया। इस शख्स का नाम पहले कभी रतन टाटा (Ratan Tata) से नहीं जुड़ा था और अब उसे 500 करोड़ मिलने पर न सिर्फ उनके करीबी और परिवार के लोग हैरान हैं। बल्कि इसके बारे में जानकर हर कोई हैरान रह गया।
दरअसल, रतन टाटा की हाल ही में खुली वसीयत ने कई लोगों को चौंका दिया। इसमें उनकी बची हुई संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा जिसकी कीमत 500 करोड़ से ज्यादा आंकी गई है।
टाटा के करीबी दत्ता को मिले 500 करोड़ रुपए
जमशेदपुर की एक अज्ञात सहयोगी मोहिनी मोहन दत्ता को दिया गया है। रतन टाटा (Ratan Tata) की बाकी संपत्ति दान में दी जा चुकी है और उनकी सौतेली बहनों ने भी अपना हिस्सा दान करने में रुचि दिखाई है। रतन टाटा की वसीयत की सबसे खास बात यह है कि इसमें उनके सौतेले भाई नोएल टाटा का नाम नहीं है।
हाल ही में खुली वसीयत के मुताबिक रतन टाटा (Ratan Tata) ने अपनी बची हुई संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा अपनी करीबी दोस्त मोहिनी मोहन दत्ता को दिया है। बची हुई संपत्ति में बैंक खातों में जमा रकम और निजी वस्तुओं की नीलामी से मिली रकम शामिल है।
एक तिहाई दत्ता को तो दो तिहाई बहनों को मिला हिस्सा
रतन टाटा (Ratan Tata) की वसीयत के मुताबिक 74 वर्षीय दत्ता को उनकी बची हुई संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा मिलेगा। रतन टाटा की सौतेली बहनों शिरीन जीजीभॉय और दीना जीजीभॉय को इसका दो-तिहाई हिस्सा मिलेगा। ये दोनों बहनें अक्टूबर 2024 में रतन टाटा की मृत्यु के बाद उनकी वसीयत की निष्पादक भी हैं।
रतन टाटा (Ratan Tata) ने टाटा समूह और अन्य कंपनियों में अपने शेयर जैसी प्रमुख संपत्तियां अपनी दो संस्थाओं को दे दी हैं।
कौन है मोहनी दत्ता जिसे मिली वसीयत?
दत्ता ने अपने करियर की शुरुआत ताज समूह से की और फिर अपना खुद का उद्यम, स्टैलियन ट्रैवल एजेंसी शुरू किया। 2013 में इसका ताज ग्रुप ऑफ़ होटल्स के एक विभाग ताज सर्विसेज़ के साथ विलय हो गया। उनके पास व्यवसाय में 80% हिस्सेदारी थी, जबकि बाकी टाटा (Ratan Tata) इंडस्ट्रीज के पास थी।
बाद में एजेंसी का ताज के ट्रैवल डिवीजन के साथ विलय कर दिया गया, जिसे बाद में टाटा कैपिटल ने अधिग्रहित कर लिया। बाद में इसे थॉमस कुक (इंडिया) को बेच दिया गया। अब टीसी ट्रैवल सर्विसेज़ के रूप में परिचालन करते हुए दत्ता इसके निदेशक बने हुए हैं।
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