Priyanka Bishnoi: जोधपुर की SDM प्रियंका विश्नोई (Priyanka Bishnoi) की आकस्मिक मौत ने चिकित्सा प्रक्रियाओं को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बच्चेदानी के ऑपरेशन के बाद जो सरल रिकवरी होनी चाहिए थी, वह एक दुखद नुकसान में बदल गई। परिवार, मित्र और समुदाय के लोग इस हृदयविदारक घटना का शोक मना रहे हैं, जबकि चिकित्सा संस्थानों में संभावित लापरवाही और देखभाल के मानकों को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं।
ऑपरेशन के बाद उठे गंभीर सवाल
प्रियंका विश्नोई(Priyanka Bishnoi) की सर्जरी 5 सितंबर को जोधपुर के वसुंधरा अस्पताल में हुई थी। अगले दिन, 6 सितंबर को उनकी तबीयत बिगड़ने लगी, जिससे परिवार चिंतित हो गया। 7 सितंबर को प्रियंका को अहमदाबाद के सिम्स अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज चलता रहा। लेकिन 18 सितंबर की देर रात, प्रियंका की दुखद मौत ने परिवार को झकझोर दिया। उनके परिजनों को यकीन ही नहीं हो रहा था कि एक सामान्य ऑपरेशन के बाद ऐसा कैसे हो गया। इस अनहोनी ने ना सिर्फ परिवार को, बल्कि पूरे समुदाय को स्तब्ध कर दिया है, और अब सभी के मन में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसा किस तरह हुआ।
परिवार ने लगाया लापरवाही का आरोप
प्रियंका विश्नोई (Priyanka Bishnoi) की मौत के बाद उनके परिवार का गुस्सा जोधपुर के वसुंधरा अस्पताल पर फूट पड़ा है, जहां प्रियंका का यूटेरस का ऑपरेशन किया गया था। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल के डॉक्टरों ने ऑपरेशन से पहले बेहोशी के लिए एनेस्थीसिया की दवा दी, लेकिन डोज अधिक होने के कारण प्रियंका की तबीयत बिगड़ गई। जब हालत गंभीर हुई, तब उन्हें अहमदाबाद के सिम्स अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। अब प्रियंका के परिवार वाले अस्पताल और डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर की मांग कर रहे हैं, और न्याय की आस में हैं। यह मामला न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि चिकित्सा लापरवाही के खिलाफ एक गंभीर सवाल भी खड़ा करता है।
अस्पताल के बाहर लोगों ने किया विरोध प्रदर्शन
अस्पताल के बाहर लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, इंसाफ की गुहार लगाते हुए। बिश्नोई समाज के लोग भी एकजुट होकर मौके पर पहुंचे, जिसके चलते प्रशासन को भी हस्तक्षेप करना पड़ा। प्रशासन ने जांच के बाद कार्रवाई का भरोसा दिया है। प्रियंका के परिवार ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कलेक्टर को एक चिट्ठी भी लिखी थी। इसके बाद कलेक्टर के आदेश पर पांच डॉक्टरों की एक टीम गठित की गई है, जो तीन दिन में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। इस बीच, जोधपुर के वसुंधरा अस्पताल के डॉक्टरों ने भी पूरे मामले पर अपनी सफाई पेश की है, और अपनी भूमिका को स्पष्ट करने की कोशिश की है। इस घटना ने न केवल प्रियंका के परिवार को, बल्कि पूरे समुदाय को हिला दिया है, और न्याय की उम्मीद में लोग आवाज उठा रहे हैं।
33 वर्ष की उम्र में हुआ निधन
प्रियंका विश्नोई 2016 बैच की राजस्थान एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस की अफसर बनीं, लेकिन उनका यह सफर आसान नहीं रहा। उन्होंने अपनी तैयारी के दौरान के अनुभवों को कई बार मंच पर साझा किया है, जो युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हैं। महज 33 साल की उम्र में अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी दुखद मौत ने लोगों को शोक में डाल दिया है। परिवार गमजदा है और न्याय की गुहार लगा रहा है।
प्रशासन से उम्मीद की जा रही है कि पांच डॉक्टरों की जांच कमेटी से सभी सवालों के जवाब मिलेंगे और प्रियंका के परिवार को इंसाफ मिलेगा। इस दुखद घटना ने एक होनहार अधिकारी की चमक को असमय ही बुझा दिया, और अब सभी की नजरें जांच की प्रक्रिया पर टिकी हैं।
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